हरिद्वार में शादी, जेल जाने के बाद पत्नी पायल ने संभाला बिजनेस
रायपुर। लखनऊ कोर्ट में बुधवार को गैंगस्टर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के बाद अगर कोई नाम चर्चा में है, तो वो है संजीव की पत्नी गैंगस्टर पायल माहेश्वरी का। संजीव की पत्नी पायल धमकी, फिरौती और गैंगस्टर के आरोप में अब फरार है। पायल माहेश्वरी का नाम गैंगस्टर लेडी की लिस्ट में सबसे ऊपर आ गया है।
पायल माहेश्वरी शर्मा परिवार से आती है। गाजियाबाद के मोदीनगर में उसके बचपन के दिन बीते। पायल माहेश्वरी की पढ़ाई गाजियाबाद में ही हुई है। वो बेहद ही साधारण परिवार से है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पायल बहुत ही सरल स्वभाव की थी। उनका व्यवहार सभी से अच्छा था। उसकी शादी के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। हमें बस ये पता चला था कि उसकी शादी हो चुकी है। लंबे समय तक पायल अपने घर नहीं आई। इसके बाद राजनीति में आने के बाद वो हमें यहां दिखी थी। लेकिन अब वो काफी बदल चुकी थी।
लव स्टोरी से शादी तक
ऐसा बताया जाता है कि संजीव की मुलाकात पायल से तब हुई थी, जब वो अपराध की दुनिया में पूरी तरह से अपने कदम जमा चुका था। दो-दो हत्याओं में उसका नाम आ चुका था। एक मामले में तो उसको उम्र कैद की सजा भी हो चुकी थी। मुख्तार का करीबी होने के कारण वो अक्सर जेल से जमानत और पैरोल पर बाहर आ जाया करता था।
उसके लिए ऐसा करना बड़ी बात नहीं थी। तब तक संजीवा का बिजनेस, उसके अपराध गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, दिल्ली, मेरठ समेत कई जगहों पर फैल चुके थे। इन जगहों पर उसकी पकड़ भी बढ़िया बनी हुई थी। वहां के बड़े-बड़े लोग क्षेत्र में अपना रुतबा बनाने के लिए उसको अपने यहां बुलाया करते थे।
“पहली बार पायल को देखा और देखता ही रह गया”
मुजफ्फरनगर में संजीव के एक करीबी बताते हैं, ”ये बात 2004 की है…गाजियाबाद में एक शादी समारोह था। जहां संजीव भी गया था और पायल भी आई हुई थी। वहां पर संजीव ने पहली बार पायल को देखा और देखता ही रह गया।
पायल की सुंदरता में वो पूरी तरह खो चुका था। इतना बड़ा अपराधी एक पल में साधारण सा लड़का बन गया था। सब कुछ भूल कर वो पायल के पीछे लग गया। उसे शादी में पायल से बात करने का मौका नहीं मिला, लेकिन उसकी सारी डिटेल उसने निकलवा ली।
“पायल भी संजीव को नोटिस करती, बोलती कुछ नहीं”
अब संजीव का ज्यादा से ज्यादा समय गाजियाबाद की मोदीनगर तहसील में बीतने लगा। उसका सुबह-शाम का अड्डा पायल की गली बन चुका था। आते-जाते, हर समय वो पायल पर नजर रखता। ऐसा करीब 2-3 महीने तक चलता रहा। पायल भी संजीव को नोटिस करती, लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाती। इस बीच संजीव ने उससे प्यार का इजहार भी किया। हालांकि बताते हैं कि उसे धमकाया भी था।
फिर धीरे-धीरे संजीव और पायल की मुलाकात हो गई। उसके बाद शुरू हुआ दोनों के बीच प्यार का सफर जो शादी तक पहुंच गया। संजीव और पायल की मुलाकात और बातचीत की बात जब पायल के घर पहुंची तो घरवाले डर गए।
वो लोग इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। रिश्ता मना करने के लिए संजीव जीवा का नाम ही काफी था। फिर भी उन लोगों ने पायल को मना किया। लेकिन उसको रोकने की हिम्मत नहीं कर पाए। जिसके बाद पायल और संजीव ने हरिद्वार में साल 2006 में सात फेरे ले लिए।
शादी के कुछ ही साल बाद संजीव फिर जेल चला गया। हालांकि ऐसा बताया जाता है कि संजीव जेल में तो बस नाम के लिए ही था। वो परमानेंट जेल के अस्पताल के एक VIP रूम में रहता था। वहां पर वो लोगों से मुलाकात भी किया करता था। उससे मिलने वालों में सबसे टॉप पर पायल का नाम शामिल था। पायल ने संजीव के जेल जाने के बाद उसके सारे काम संभाले।
मुजफ्फरनगर में पायल का ठिकाना हमेशा रहता था…
यूपी से लेकर दिल्ली तक फैले उसके सारे शोरूम, ट्रेडिंग, प्रॉपर्टी और विवादों को पायल ही डील करती थी। यहां तक कि संजीव का 40 लोगों का गैंग भी पायल ही ऑपरेट करती थी। इतना ही नहीं, शामली के गांव वाले घर पर भी पायल नजर रखती थी। मुजफ्फरनगर छोड़कर पायल परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट जरूर हो गई थी, लेकिन मुजफ्फरनगर में पायल का ठिकाना हमेशा रहता था।
यहां पर लगभग उसकी 50 करोड़ से ज्यादा संपत्ति थी। इसके अलावा दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ समेत उसका कारोबार कई क्षेत्रों तक फैला था। पायल-संजीव के पास लगभग 100 करोड़ की संपत्ति थी। संजीव के गैंग के सदस्य पायल के एक इशारे पर कोई भी घटना कर देते थे। अब धीरे-धीरे पायल पूरी तरह से संजीव के रंग में रंग चुकी थी।
जैसे-जैसे संजीव की संपत्ति फैल रही थी, उसके अपराधों की संख्या बढ़ रही थी, अलग-अलग क्षेत्रों के थानों में उसके खिलाफ शिकायतें पहुंच रही थीं, वैसे-वैसे पुलिस का शिकंजा भी उसके ऊपर कस रहा था। संजीव के कई भरोसेमंदों को पुलिस जेल का रास्ता दिखा चुकी थी।
ऐसे में अपने रुतबे और कारोबार को बचाने के लिए संजीव ने राजनीति में आने का रास्ता अपनाया। उसने साल 2017 में पायल को रालोद से मुजफ्फरनगर की सदर सीट पर चुनाव में खड़ा कर दिया। हालांकि, पायल चुनाव हार गई। लेकिन क्षेत्र में उसकी पकड़ बन गई।
2022 में वो फिर से रालोद से टिकट की उम्मीद कर रही थी
चुनाव हारने के बाद भी वो अपने क्षेत्र के लोगों से मिलती। उनकी समस्याएं सुनती और हल भी करवाती। महिलाओं और लड़कियों से जुड़े मुद्दों को वो हाथों-हाथ हल करवाती। ऐसे में उसके क्षेत्र के लोग उसको पंसद करने लगे। संजीव की सौतेली बहन निशा बताती हैं, ”पायल वैसे तो कभी उनके घर नहीं गई थी, लेकिन राजनीति में आने के बाद वो अक्सर उनके घर आया करती थी। समय भी बिताया करती थी। साल 2017 में चुनाव हारने के बाद साल 2022 में वो फिर से रालोद से टिकट की उम्मीद कर रही थी, लेकिन इस बार पार्टी ने उस पर दांव नहीं खेला।
अब पढ़िए पायल के गैंगस्टर बनने की कहानी…
साल 2021 में धमकी और फिरौती मांगने के आरोप में पायल समेत 9 लोगों पर मुजफ्फरनगर में केस दर्ज हुआ था। ये पायल पर पहला केस था। पायल पर आरोप लगा था कि वो जमीन नाम नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दे रही है। साथ ही उनके द्वारा पीड़ित को धमकाया भी गया है। इस केस के बाद पायल ने एक अग्रिम जमानत याचिका लगाई, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया गया।
पहला केस दर्ज होने के बाद आज तक पायल फरार…
लंबे समय तक पुलिस पायल को गिरफ्तार नहीं कर पाई। पुलिस उसकी तलाश के लिए दिल्ली से लेकर शामली, मुजफ्फरनगर तक पहुंची, लेकिन कहीं भी पायल हाथ नहीं लगी। वहीं इसी बीच पायल के गुर्गे केस करने वाली पार्टी पर केस को वापस लेने का दबाव बनाते रहे।
धमकी, फिरौती जैसे अन्य मामलों में भी पायल और संजीव जीवा का नाम सामने आता रहा। इन्हीं मामलों को आधार बनाकर पायल माहेश्वरी को साल 2022 में पुलिस ने गैंगस्टर घोषित कर दिया। उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा भी दर्ज किया गया। पहला केस दर्ज होने के बाद आज तक पायल फरार है।
पति की मौत और गिरफ्तारी के डर से अंतिम यात्रा में भी शामिल नहीं हो पाई पायल
संजीव जीवा की मौत के बाद पायल उसके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाई। पायल ने पति की अंतिम यात्रा में जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी थी। साथ ही गिरफ्तार न करने के लिए याचिका भी दी थी, लेकिन उसको कोर्ट ने खारिज कर दी। संजीव की अंतिम यात्रा में उसके 4 बच्चे शामिल हुए थे। हालांकि, अब पायल पुलिस की रडार पर आ चुकी है।
91 लाख की प्रपर्टी की मालकिन है पायल
साल 2017 में विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के अनुसार, पायल के पास कुल 91 लाख से ज्यादा की संपत्ति थी। इसमें 16 साल कैश, 6 लाख के बॉड, 5 लाख की मारुति कार, 34 लाख रुपए की जमीन शामिल थी। शपथ पत्र में पायल ने जीवा का कोई काम नहीं दिखाया था। उसने खुद को बिजनेस और ट्रेडिंग का कारोबारी बताया था। इसका मतलब है कि पायल 2017 से पहले ही जीवा का सारा काम संभाल रही थी। उसने अपने हलफनामे में शोरूम की जानकारी नहीं दी थी। हलफनामे में पायल ने अपनी उम्र 29 साल दिखाई थी।