सुरक्षा बल के प्रहार से बचने लड़ाकू बटालियन उतारने विवश हुए नक्सली
Naxalites were forced to withdraw their combat battalion to avoid attack by security forces.
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नक्सलरोधी अभियान तेज हुआ है। पिछले एक माह से नक्सलियों के सबसे ताकतवर किले में सुरक्षा बल की ओर से अभियान चलाया जा रहा है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना आंध्रप्रदेश के ट्राई जंक्शन में नक्सलियों की घेराबंदी करने 11 नए सुरक्षा बल के कैंप स्थापित कर दिए गए हैं, जहां से अभियान चलाने की तैयारी सुरक्षा बल कर रही है। नक्सलियों के सबसे शक्तिशाली गढ़ में सुरक्षा बल के प्रहार से बचने नक्सलियों को अपना अभेद्य गढ़ बचाने रणनीति बदल कर आमने–सामने की लड़ाई में उतरना पड़ा है, पर यहां नक्सलियों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में तीन वर्ष बाद नक्सलियों ने स्माल एक्शन टीम के बदले लड़ाकू बटालियन को सीधे मैदान में उतारते दिख रहे हैं। तीन अप्रैल 2021 को टेकुलगुडेम मुठभेड़ में आखिरी बार नक्सलियों ने अपने लड़ाकू दस्ते का उपयोग किया था। इस हमले में सुरक्षा बल के 23 जवान बलिदान हुए थे। सुरक्षा बल टेकुलगुडेम में 18–20 किमी पैदल चलकर पहुंची थी और बैकअप नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से सुरक्षा बल ने अपनी रणनीति को विस्तार देते हुए नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रभाव क्षेत्र में 65 सुरक्षा बल के कैंप खोलकर नक्सलियों को बैकफुट पर धकेलते हुए खुद को मजबूती से स्थापित कर लिया था। अब छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलते ही सीधे उनके आधार पर प्रहार करते हुए वहां 11 नए कैंप खोले गए हैं। यहीं कारण है की 30 जनवरी को जब सुरक्षा बल टेकुलगुडेम में नया सुरक्षा कैंप स्थापित करने पहुंची तो अत्याधुनिक शस्त्र से युक्त नक्सलियों की बटालियन ने खतरा उठाते हुए एक 47, इंसास राइफल और बैरल ग्रेनेड लांचर से सुरक्षा बल पर हमला करते हुए अपना गढ़ बचाने का प्रयास किया था। नक्सलियों के इस घात को सुरक्षा बल ने तोड़ते हुए 10 से अधिक नक्सलियों को मार गिराने और 15 से अधिक नक्सलियों को गोली लगने का दावा किया है। टेकुलगुडेम हमले में वीरता का परिचय देने वाले जवान बलबीर सिंह रायपुर के अस्पताल में भर्ती हैं, उन्होंने बताया की 15 से 20 नक्सलियों को गोली लगते देखा है, जिन्हें नक्सली अपने साथ उठाकर ले गए। टेकुलगुडेम में नक्सलियों के ताकतवर हमले को ध्वस्त करते हुए सुरक्षा बल के तीन जवान भी बलिदान हो गए और 15 जवानों को मामूली चोट आई है, पर पिछले बार के हमले की तुलना में यह नुकसान कम है। इसके एक पखवाड़े पहले बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित धर्मावरम कैंप पर भी 300 से अधिक नक्सलियों ने बीजीएल और अत्याधुनिक हथियार से हमला किया था, जिसके बाद नक्सलियों ने पर्चे जारी कर स्वीकार किया था की इस हमले में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था, सुरक्षा बल ने तीन नक्सलियों को मार गिराया था। सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने बताया की अगले कुछ माह में 44 से अधिक कैंप यहां खोलकर वहां से क्षेत्र की सुरक्षा, विकास और शांति के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। नक्सलवाद के खात्मे का मास्टरप्लान अब अपने निर्णायक स्तिथि में है।