शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहने सभी को योग करना जरूरी- अटामी
It is necessary for everyone to do yoga to remain physically and mentally healthy - Atami
ॐ के घोष से गूंजा माई दंतेश्वरी का पवित्र प्रांगण
दंतेवाड़ा के मेंडका डोबरा प्रांगण में हजारों लोगों ने एक साथ किया सामूहिक योगाभ्यास
रायपुर । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम में दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी ने मेंडका डोबरा प्रांगण में हजारों लोगों के साथ सामूहिक योगाभ्यास किया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि निरोग रहने के लिए योग भारत के ऋषि-मुनियों की समृद्ध विरासत है। शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए। जब हम सामूहिक योग करते हैं, तो हमारी सामूहिक भावना और मजबूत होती है तथा हम सभी में अपने देश को आगे ले जाने का संकल्प और भी मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज समूचा विश्व योग कर रहा है।
योगाभ्यास कार्यक्रम में लोगों ने जब ओम के उद्घोष के साथ योग किया तो नजारा देखने लायक था। योग की आसन संक्रियाओं को करने के साथ ही लोगों ने योग के महत्व को भी जाना। योग विशेषज्ञ योग के साथ ही यौगिक साधनाओं के महत्व के बारे में लोगों को बता रहे थे। ऐसे ही जिले के नगरीय निकायों तथा ब्लॉक मुख्यालयों में भी यही नजारा था। यह योग और भारत की प्राचीन समृद्ध संस्कृति का सम्मान है। योग का यह अवसर इतना गौरवशाली था कि योग करने वाले स्वयं को जड़ों से जुड़ा महसूस कर रहे थे।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष तुलिका कर्मा,नगर पालिका अध्यक्ष पायल गुप्ता,नगर पालिका उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह, जिला पंचायत सदस्य रामू राम नेताम, कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, जिला पंचायत सीईओ कुमार बिश्वरंजन, एसडीएम जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, संयुक्त कलेक्टर हिमाचल साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधी, पंचायत पदाधिकारी और अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में लोगों ने योगाभ्यास किया। योग प्रशिक्षक डॉ. संतोष कुमार बर्मन ने प्रार्थना, शिथिलीकरण अभ्यास, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि चालन, घुटना संचालन, ताड़ासन, वृक्षासन, पाद हस्तासन, अर्ध चक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तान मंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध हलासन, पवन मुक्तासन, शवासन, कपालभाति, नाड़ी शोधन अथवा अनुलोम विलोम प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया।