विहिप और बजरंग दल ने रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान गांव-गांव घुमकर जगाई अलख
VHP and Bajrang Dal raised awareness by roaming from village to village during the Ram Janmabhoomi movement.
बिलासपुर। अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के लिए वर्ष वर्ष 1989 में रामजन्म भूमि आंदोलन की शुरुआत हुई। विश्वहिन्दू परिषद के आह्वान पर विहिप के अलावा बजरंग दल,धर्म जागरण मंच,भाजपा व अनुषांगिक संगठनों ने चरणबद्ध आंदोलन प्रारंभ किया। रामजन्म भूमि आंदोलन की शुरुआत शिला पूजन से की गई। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जुड़ाव के लिए शिला पूजन प्रारंभ किया गया। अयोध्या में राम मंदिर स्थापना के लिए लोगों से शिला लेना और रथ में रखे शिला का पूजन कार्यक्रम देशभर में प्रारंभ किया गया। इस आंदोलन के जरिए देशभर के लोगों को जुड़ाव सीधेतौर पर अयाेध्या और विहिप के इस आंदोलन से हुआ। ठीक एक साल बाद 30 अक्टूबर 1990 विहिप के आह्वान पर अयोध्या में कार सेवा का आयोजन किया गया। इसमें देशभर से लाखों कार सेवक अयोध्या में जुटे। सैकड़ों ने पुलिस की गोलीबारी में अपनी जान भी गंवाई। रामजन्म भूमि आंदेालन और शिला पूजन से परोक्ष रूप से जुड़े रतनपुर गिरिजावन हनुमान मंदिर के महंत तारकेश्वर पुरी शुरुआत से लेकर अब तक चले आंदोलन के संचालन में विहिप के शीर्ष पदाधिकारियों के निर्देश पर करते आ रहे हैं। धर्म जागरण मंच में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले महंत तारकेश्वर ने नईदुनिया से आंदोलन की शुरुआत से लेकर दोनों कारसेवा के दौरान उत्पन्न हुई परिस्थिति और अपनी भूमिका व संस्मरण को साझा किया। हनुमानजी के परम भक्त महंत तारकेश्वर का कहना है कि विहिप के शीर्ष नेतृत्व ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चलाने के लिए जो नाम तय किया वह सीधे लोगों की भावनाओं से जाकर जुड़ गया। जब जुड़ाव हुआ तो इसका सकारात्मक परिणाम भी हम सबके सामने नजर आ रहा है। वर्ष 1989 का वह दौर आज भी अच्छी तरह याद है। जब हम रामजन्म भूमि आंदोलन की शुरुआत कर रहे थे। गांव में शिला लेकर पहुंचते थे। ग्रामीणों को जोड़ते थे और उनको पूरी कहानी बताते थे। गांव की महिलाएं,माताएं धार्मिक भावना से ओत-प्रोत होकर शिला का ऐसा पूजन किया करती थी मानो मंदिर में अपने इष्टदेव या देवी के सामने खड़े होकर अपने अराध्य की पूजा कर रहे हों। शिला पूजन लोगों के मन से ऐसे जुड़ा कि आंदोलन देखते ही देखते सफलता की ओर आगे बढ़ने लगा। लोगों का जुड़ाव भी इसी अंदाज में होने लगा। शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा दूर दराज के गांव में लोगों को जोड़ना,उनसे बात करना और आंदोलन से सीधेतौर पर जोड़ने का काम अनवरत जारी रहा।