छत्तीसगढ़

विश्व की सबसे छोटी हार्ट वाली मशीन लगाई मरीज को, प्रदेश के सरकारी अस्पताल में ऐसा पहला मामला

रायपुर। हार्ट के मरीज को दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर लगाया गया है। 7 से 8 लाख रुपए की ये छोटी सी मशीन इंसान को नई जिंदगी देती है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में ये मशीन मरीज को फ्री में लगाई गई है। डॉ खूबचंद बघेल हेल्थ स्कीम की वजह से मरीज को ये सुविधा मिली। एक्सपर्ट्स ने बताया कि प्रदेश में दिल के सरकारी अस्पताल में लीडलेस पेसमेकर लगाने का ये पहला मामला है। जो मशीन मरीज को लगाई गई वो विटामिन वाले कैप्सूल की साइज का है और नाम है माइक्रा।

अंबेडकर अस्पताल और पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम ने ये काम किया है। एसीआई में कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव और अन्य डॉक्सर्ट ने कम्प्लीट हार्ट ब्लाकेज (पूर्ण हृदय अवरोध) की समस्या से पीड़ित राजनांदगांव निवासी 63 साल के मरीज के हृदय में इस मशीन को प्लांट किया है। ये पेसमेकर दिल के चैंबर में तैरता रहेगा। ये लीडलेस यानी बिना लीड के जांघ की नसों के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है।

बहुत क्रिटिकल था केस
मरीज की पहचान उजागर किए बिना मेडिकल टीम ने बताया कि मरीज को वर्ष 2010 में एक निजी अस्पताल में पहला पेसमेकर लगा, वर्ष 2020 में पेसमेकर की बैटरी खत्म हो गई तो इंदौर में नया बैटरी लगवाया। वर्ष 2021 में पेसमेकर चमड़ी से बाहर आ गया। वर्ष 2021-22 में बाहर आये पेसमेकर को सेट करने के लिए चार बार प्लास्टिक सर्जरी हुई। वर्ष 2022 में लीड एक्सट्रेक्शन करके दायें साइड से निकाल कर बायें साइड में डाला। मरीज की समस्या यहीं खत्म नहीं हुई।

फरवरी 2023 में मरीज एसीआई पहुंचा जहां पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं टीम ने बाहर निकले हुए पेसमेकर को छाती के मांसपेशियों के पीछे डाला। कुछ समय बाद मरीज को ऑटो इम्यून डिसऑर्डर होने के कारण हर्पीज की समस्या हो गई और छाती में इन्फेक्शन हो गया। मवाद बहने लगा। अंततः मरीज वापस एसीआई पहुंचा और यहां उसे हृदय की इन सभी जटिलताओं का समाधान सबसे छोटे पेसमेकर के प्रत्यारोपण के बाद मिला।

ऐसे लगाया गया पेसमेकर
डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि सबसे पहले दायीं जांघ के फीमोरल वेन से नीडिल डाला गया। उसके बाद शिफ्ट वायर के ऊपर इंट्रोट्यूब डाला। इंट्रोट्यूब के ऊपर से माइक्रा डिलीवरी सिस्टम को डाला गया। माइक्रा कैप्सूल के स्वरूप में माउंटेड रहता है। इसके बाद माइक्रा डिलीवरी सिस्टम को राइट एट्रियम में लेकर जायेंगे। राइट एट्रियम से बेंट करके राइट वेंट्रिकल सेप्टम में लेकर जायेंगे। उसके बाद माइक्रा को अंदर ही अंदर डिलीवरी सिस्टम के माध्यम से रिलीज करेंगे।

रिलीज करने के बाद वह ऑटोमेटिक राइट वेंट्रिकल सेप्टम में फिट हो जाते हैं। इसमें चार पतले कांटे की तरह धागेनुमा संरचना होती है जिसकी मदद से वह सेप्टम में फिट हो जाता है और देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो तैर रहा हो। इसके बाद मरीज का इलेक्ट्रिकल पैरामीटर मापते हैं। संतोषप्रद होने पर उसी स्थिति में रख कर बाकी सिस्टम को बाहर खींच लेते हैं । प्रत्यारोपण के बाद लीड लेस पेसमेकर हृदय को विद्युत तरंगे भेजता रहता है जिससे दिल धड़कता रहेगा। इसमें इन्फेक्शन की संभावना काफी कम होती है और बैटरी लाइफ 12 साल तक रहता है।

सिंगल चेम्बर पेसमेकर है माइक्रा
माइक्रा सिंगल-चेंबर पेसमेकर होता है जो एक विटामिन के कैप्सूल के आकार का होता है और इसे सीधे हृदय में लगाया जा सकता है इसलिये इसमें लीड्स को भी प्रत्यारोपित करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया के अंतर्गत पेसमेकर को पैर में कैथेटर के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है और छाती में चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।

स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने सराहा
इस ऑपरेशन को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा समस्त प्रदेशवासियों को संतोष के साथ सूचित करना चाहता हूं कि, ACI एडवांस्ड कार्डियक इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज रायपुर में एक मरीज़ को विश्व का सबसे छोटा पेसमेकर लगाया गया। इससे पहले वे 8 बार जटिल प्रक्रियाओं से गुज़र चुके थे, मगर अंततः इस ऑपरेशन द्वारा उन्हें जीवनदान प्राप्त हुआ।

ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले डॉ स्मित श्रीवास्तव एवं उनकी टीम को हार्दिक शुभकामनाएं। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग अपनी सेवाओं और ऐसी जीवनरक्षी तकनीकों में नित तरक्की कर रहा है और लोगों की सेवा में तत्पर है। इस टीम में डॉ. सी. के. दास, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. तान्या छौड़ा, टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा, खेम सिंह, नवीन ठाकुर, जितेन्द्र, आशा, बी. जॉन, डेविड, खोगेन्द्र शामिल थे।

क्या है पेसमेकर
दिल की धड़कने असामान्य हाेने पर पेसमेकर लगाया जाता है। पेसमेकर को चलाने के लिए बैटरी लगी हुई होती है। यह धड़कनों को रेग्युलेट करने का काम करता है। जब दिल काम करना कम कर देता है। इससे धड़कन बहुत धीमी हो जाती हैं। कई बार धड़कन बहुत धीमी या तेज हो जाती हैं। सांस फूलने, चक्कर आना, बेहोश होने समेत अन्य लक्षण देखने को मिलते हैं। इससे हार्ट की दीवारें कमजोर हो जाती हैं। हार्ट वीक होने पर हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे हालात में पेसमेकर लगाया जाता है।

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