छत्तीसगढ़

धान उठाव को बीते तीन महीने, नागरिक आपूर्ति निगम में 1000 लॉट चावल लेना बाकी

रायगढ़। कस्टम मिलिंग में बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। सरकारी धान के उठाव को तीन महीने बीतने के बाद भी चावल जमा नहीं हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि पिछले सात दिनों में 50 राइस मिलर ऐसे हैं, जिन्होंने एक लॉट चावल भी नहीं दिया। जबकि अभी भी तकरीबन 1000 लॉट जमा होने बाकी हैं। धान के कारोबार पर प्रशासन ने नियंत्रण खो दिया है। समितियों में सूखत न आए इसके लिए फरवरी तक पूरे धान का उठाव करवा लिया गया।

रायगढ़ जिले में 41.29 लाख क्विंटल धान खरीदा गया था जो राईस मिलरों को दिया जा चुका है। इस बात को तीन महीने बीत चुके हैं। इस दौरान चावल जमा करने की रफ्तार धीमी हो गई। दरअसल, इसके पीछे बहुत बड़ा खेल है। राइस मिलरों ने धन तो उठा लिया लेकिन उससे नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में चावल जमा नहीं किया।

मार्कफेड और खाद्य विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो मिलरों ने फ्री सेल कर दिया। सरकारी धान से चावल बनाकर दूसरे राज्यों को चावल सप्लाई कर दिया। यही वजह है कि अब मिलरों के पास धान ही नहीं बचा। नागरिक आपूर्ति निगम में 87 राइस मिलरों को करीब 1000 लॉट चावल देने हैं। बीते सात दिनों का आंकड़ा देखें तो पता चलता है कि मिलरों ने सरकारी धान बेच डाला है। करीब 50 मिलर ऐसे हैं जिन्होंने पिछले सात दिनों में एक भी लॉट चावल नान में जमा नहीं किया है। यही मिलर हैं जिनके पास सरकारी धान भी नहीं है। रबी के धान की खरीदी करके ये चावल जमा करने में लगे हैं क्योंकि खरीफ के धान को बेच दिया है।

45 को देना है 10 से ज्यादा लॉट
कस्टम मिलिंग की व्यवस्था को ढीला छोड़ दिया गया है। सरकारी धान उठाव के बाद चावल जमा नहीं हो रहा है लेकिन सारे विभाग चुप हैं। मिलरों के हाथ में पूरी व्यवस्था गिरवी रख दी गई है। बीते तीन सालों में खाद्य विभाग ने एक भी राइस मिल की जांच नहीं की। अभी भी करीब 45 मिलर ऐसे हैं जिन्हें दस से ज्यादा लॉट नान में जमा करने हैं। इनमें से कई मिलर हैं जो एक सप्ताह से चावल ही नहीं भेज रहे हैं। मिलों का भौतिक सत्यापन होगा तो बहुत बड़ा घपला सामने आएगा।

इनको देना है सबसे ज्यादा चावल
जिन मिलरों को सबसे ज्यादा चावल देना है उनमें सुमित्रा राइस मिल, गौरीशंकर राइस मिल, कृष्णा राइस मिल, श्रीप्रज्ञा राइस मिल, रतन इंडस्ट्रीज, शिव ट्रेडिंग कंपनी, राधे कृष्णा ट्रेडर्स, महामिया एग्रोटेक, श्रीश्याम उद्योग, श्रीशक्ति फूड्स, सूरज राइस इंडस्ट्री, सालासर बालाजी इंडस्ट्रीज आदि हैं। मिलों का भौतिक सत्यापन करने का आदेश एफसीआई ने दिया है लेकिन प्रशासन ने अब तक ऐसा नहीं किया है।

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