दसवीं के 16 और 12वीं के 20 विद्यार्थियों के लिए हेलीकाप्टर से भेजा गया प्रश्न-पत्र
Question paper sent by helicopter for 16 class 10th and 20 students of class 12th
सुकमा। नक्सलियों की उपराजधानी के नाम से कुख्यात रहे जगरगुंडा में सुरक्षा बल के प्रयास से नक्सल गतिविधियों में कमी आने के बाद अब शासन-प्रशासन यहां शिक्षा की लौ को जलाए रखने का प्रयास कर रहा है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से एक मार्च से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षा में अतिनक्सल संवेदनशील गांव जगरगुंडा के दसवीं के 16 तथा 12वीं के 20 छात्र परीक्षा देंगे। यहां परीक्षा केंद्र बनाए जाने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच हेलीकाप्टर से परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न-पत्र भेजा गया। हेलीकाप्टर से प्रश्न-पत्र भेजते समय जिला शिक्षा अधिकारी नितिन डडसेना, सहायक जिला परियोजना समन्वयक (परीक्षा प्रभारी) आशीष राम, दुशन लाल मार्गे केंद्राध्यक्ष उपस्थित थे। जगरगुंडा गांव जिला मुख्यालय से 90 किमी की दूरी पर है। यहां आज भी कंटीले तारों के बीच सलवा जुड़ूम के विस्थापित सुरक्षा घेरे में रहते हैं। दो दशक तक यहां बनाए गए सुरक्षा कैंप व ग्रामीणों के लिए राशन भी छह माह के लिए कड़ी सुरक्षा में भेजा जाता रहा है। अब परिस्थितियां बदली हुई है। दंतेवाड़ा की ओर से जगरगुंडा तक सड़क भी बन गई है। बस्तर में सलवा जुड़ूम आंदोलन शुरु होने के बाद जगरगुंडा क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधि बढ़ गई थी। सघन वन और दुर्गम क्षेत्र होने से नक्सल संगठन यहीं से नक्सल आंदोलन संचालित करता रहा। सुरक्षा बल ने इस क्षेत्र में दर्जनों कैंप स्थापित कर अब नक्सलियों की उपराजधानी को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त करा लिया है। लंबे समय बाद 2019 में जगरगुंडा के दोरनापाल में विस्थापित हायर सेकंडरी व हाईस्कूल को दोबारा गांव में शुरू किया गया था। गत वर्ष यहां परीक्षा केंद्र बनाकर बच्चों को गांव में ही परीक्षा की सुविधा दी गई। इस वर्ष भी बच्चे अपने गांव में ही परीक्षा दे सकेंगे। बोर्ड परीक्षा में सुकमा जिले के 16 परीक्षा केंद्रों के दसवीं बोर्ड में नियमित 1883, स्वाध्यायी 18, बारहवीं बोर्ड में नियमित 1495, स्वाध्यायी 33 छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगे।