छत्तीसगढ़ की दस प्रतिशत आबादी इस बीमारी के खतरे के दायरे में
Ten percent population of Chhattisgarh is at risk of this disease.
रायपुर। सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है। इसमें गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबिन) हंसिए के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं, जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन पहुंचने का काम बाधित होता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है। छत्तीसगढ़ की करीब दस प्रतिशत जनसंख्या सिकल सेल के खतरे के दायरे में हैं। इसमें कुछ जाति विशेष के लोग शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के दो से तीन लाख लोगों में सिकलसेल रोग पाया जा सकता है। प्रदेश में वर्ष-2008 से सिकल सेल एनीमिया पर कार्य किया जा रहा है। वर्ष-2012 में सिकल सेल पर कार्य किये जाने के उद्देश्य से रायपुर में सिकल सेल इंस्टिट्यूट प्रारंभ किया गया हैं, जहां रिसर्च, रेफर्रल तथा प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्ष-2017 से समस्त स्वस्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग की जा रही हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष-2047 तक देश से सिकल सेल को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक जुलाई 2023 से सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन प्रारंभ किया गया है। इसके तहत प्रदेश के समस्त 0-40 वर्ष के लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग जांच कर सिकल सेल कार्ड प्रदान किया जाना है। राज्य में अब तक 1.11 करोड़ व्यक्तियों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। इसमें करीब 2.9 लाख सिकल सेल वाहक तथा 22,672 मरीजों की पहचान हुई है। डाक्टरों का कहना है कि सिकल सेल वाहक का मतलब है कि आप उन जीनों में से एक को धारण करते हैं जो सिकल सेल रोग का कारण बनते हैं। लेकिन, स्वयं सिकल सेल से पीड़ित नहीं हैं। इसे सिकल सेल विशेषता के रूप में भी जाना जाता है।