रायपुर। नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के तहत कृषि महाविद्यालय, रायपुर में भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन एनईपी सारथियों द्वारा किया गया, जो विश्वविद्यालय द्वारा नामित छात्र होते हैं और जिनका मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति के प्रति जागरूकता फैलाना होता है। भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम कृषि महाविद्यालय, रायपुर के सभागार में यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी2020) के बहुभाषी शिक्षा मॉडल को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि संजय नय्यर, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी एवं प्रभारी, राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “मातृभाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान का अभिन्न हिस्सा है” उन्होंने भारत में बोली जाने वाली भाषाओं के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए संस्कृत एवं हिंदी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि अच्छा साहित्य पढऩे से वाक्य संरचना और समग्र लेखन क्षमता में सुधार होता है।
कार्यक्रम के मुख्यअतिथि डॉ. गोपी कृष्ण दास, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, रायपुर ने अपने संबोधन में कहा कि मातृभाषा में शिक्षा विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत विविध भाषाओं का देश है, जिनमें से प्रत्येक का अपना समृद्ध इतिहास, संस्कृति और पहचान है। भारतीय भाषा का महत्व संचार से परे है, यह विरासत को संरक्षित करने, एकता को बढ़ावा देने और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ. दास ने छात्र छात्राओं को हिंदी पुस्तकों के अध्ययन का महत्व बताते हुए क्लास के बाद पुस्तकालय में हिंदी साहित्य का अध्ययन करने को कहा।
कार्यक्रम में 85 से अधिक छात्रों ने भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। ओम अग्रवाल, प्रतीक झा और देहुति ध्रुव सहित अन्य छात्रों ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) सारथी अनुश्का चौरसिया और अंशु मढ़रिया के नेतृत्व में किया गया, जिसमें टीम के अन्य सदस्यों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में डॉ. एस. बी. वेरुलकर, नोडल अधिकारी एवं डॉ. रामा मोहन सावु, समन्वयक, प्लेसमेंट सेल ने विशेष भूमिका निभाई।