छत्तीसगढ़
Trending

निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट, शहरी वोटर्स से राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियां आगे

रायपुर। विशेष पिछड़ी जनजातियों ने शहरी व पढ़े-लिखों लोगों को बड़ा संदेश दिया है कि वे राष्ट्रीय दायित्व निभाने में उनसे आगे हैं। यानी पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहरियों से ज्यादा और कहीं -कहीं तो शत-प्रतिशत मतदान किया। छत्तीसगढ़ की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहब कंगाले ने राज्यपाल रमेन डेका को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें यह खुलासा हुआ है।
मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में शहरी सीटों रायपुर में 61.25, बिलासपुर में 60.05 व दुर्ग में 67.23 फीसदी ही वोट पड़े थे। रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में दो जनजातियों पंडों और भुंजिया को भी पीवीटीजी में रखा गया है। पंडो मुख्य रूप से सरगुजा और सूरजपुर जिलों में पाए जाते हैं। भुंजिया गरियाबंद, महासमुंद और धमतरी जिलों में बसते हैं। दोनों जनजातियां दूसरी एसटी जनजातियों की तुलना में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हैं। इन पीवीटीजी जनजातियों के नाम वोटरलिस्ट में शामिल करने जागरूकता रैलियों के अलावा कैंप भी लगाए गए थे।
पहली बार के वोटरों और भावी वोटरों के लिए चुनावी पाठशाला भी लगाई गई। वोटिंग के प्रति रूझान पैदा करने नव विवाहिताओं का सम्मान, छाता रैली, दिव्यांग व वृद्धजनों के लिए होम वोटिंग, बूथों तक लाने के लिए वाहन रथों का इंतजाम, आदिवासी थीम पर बूथों की सजावट, सभी को वोटकार्ड का वितरण और चुनई मढ़ई जैसे आयोजन किए गए।

150 पन्नों की इस रिपोर्ट में आदिवासी क्षेत्रों में वोटरलिस्ट बनाने, बूथ, फोटो वोटरकार्ड बनाने से लेकर चुनाव से संबंधित हर प्रकिया का उल्लेख है। राज्यपाल डेका और भारत निर्वाचन आयोग ने भी छत्तीसगढ़ के इस प्रयास की सराहना की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button