धमतरी। शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आमदी में रविवार काे प्रोजेक्टर के माध्यम से गायत्री परिवार के प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ कौशल प्रसाद साहू ने बच्चों और उनके पालकों से कहा कि संस्कारवान बनाने बच्चों में बालपन से अनुशासन होना आवश्यक है। अभिभावक बच्चों को स्कूल में शिक्षक द्वारा डांटने पीटने पर बुरा न माने, ये बात समझे कि बच्चों की स्कूल में पिटाई अंत में पुलिस की पिटाई-ठुकाई से अच्छी है।
उन्होंने कहा कि अनुशासन के लिए प्रसिद्ध स्कूलों में विद्यार्थियों के हेयर स्टाइल और उनकी चाल ढाल को लेकर चाहे कितने भी सख्ती की जाए, उनके व्यवहार में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षक निराश होकर केवल देखते रह जाते हैं। लेकिन कुछ नहीं कर पाते। यदि माता-पिता का बच्चों पर ध्यान और नियंत्रण कम हो जाए, तो वे इस प्रकार के व्यक्तित्व में तब्दील हो जाते हैं। बच्चों को स्कूल में डर नहीं है, घर लौटने पर भी डर नहीं है, इसीलिए समाज आज भयभीत हो रहा है। कुछ बच्चे गलत संगति में पड़कर हिंसक हो रहे हैं। लोगों पर हमला कर रहे हैं। उनके व्यवहार से कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। उसके बाद वे पुलिस के हाथ लगते हैं और अदालत में सजा पाते हैं।कार्यक्रम में वरिष्ठ हीरालाल साहू ने कहा कि बच्चों के व्यवहार को सुधारने में शिक्षक मुख्य भूमिका निभाते हैं । कुछ शिक्षकों की गलती के कारण सभी शिक्षकों का अपमान ना करें।पूर्णिमा साहू, सीमा रानी भोसले, नायर सोनवानी, सुनीता नाग, गीतांजलि ध्रुव कुमारी श्वेता गजेंद्र कुमारी नमिता देवांगन, ज्योति ठाकुर कुमारी समीक्षा यादव आदि उपस्थित रहे। परमात्मा के सूक्ष्म संरक्षण में सभी छात्र-छात्राएं ने नशा छोड़ने का संकल्प लिया।
विद्यालय के प्राचार्य केके साहू ने कहा कि पांचवी कक्षा से ही अजीब हेयर स्टाइल , कटे हुए जींस , दीवारों पर बैठना और आते-जाते लोगों का मजाक उड़ाने की आदत बन जाती है। कुछ माता-पिता तो यह तक कहते हैं कि हमारा बच्चा न भी पढ़े तो कोई बात नहीं लेकिन शिक्षक उसे मारे नहीं। स्कूल में गलती करने पर सजा नहीं दी जा सकती डाटा नहीं जा सकता यहां तक की गंभीरता से समझाया भी नहीं जा सकता ।आज के माता-पिता चाहते हैं कि सब कुछ दोस्ताना माहौल में कहा जाए। यह संभव नहीं है। यदि शिक्षक सीधे बच्चे को सुधारने की कोशिश करें , तो वह अपराध बन जाता है, लेकिन वही बच्चा बड़ा होकर गलती करे तो उसे मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।