ग्रामीण ईलाके में बैंक सखी की सेवाएं देकर दशोमती कर रही हैं ग्रामीणों की मदद
Dashomati is helping the villagers by providing the services of Bank Sakhi in rural areas.
अब तक 5 करोड़ रुपए से अधिक राशि का कर चुकी हैं भुगतान
रायपुर । बस्तर जिले के लोहान्डीगुड़ा ब्लॉक के धुरागांव की रहने वाली दशोमती कश्यप 2017 में गायत्री महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। दशोमती का समूह से जुड़ने का उद्धेश्य छोटी-छोटी बचत को जोड़कर कुछ बड़ा करने की थी। स्नातक की पढ़ाई कर चुकी दशोमती के पति पुलिस विभाग में कार्यरत हैं जो हमेशा दशोमती का मनोबल बढ़ाते हैं और उनके निर्णय का साथ देते हैं। दशोमती ने बताया समूह के माध्यम से बिहान के संपर्क में आने के बाद मुझे बीसी सखी योजना की जानकारी हुई जिससे मुझे लगा कि यह एक ऐसा कार्य है जिसमें मैं ग्रामीण एवं बुजुर्गों को बैंकिंग की सेवाएं देकर उन्हें सहयोग और सुविधा प्रदान कर सकती हूं।
साथ ही अपनी भी कुछ अतिरिक्त आय कर सकती हूं। इसलिए जनवरी 2018 में वह छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की बीसी सखी बन गयीं जिसमें उसे लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र के चार ग्राम पंचायतों उसरीबेड़ा, धुरागांव, छिंदगांव एवं कोड़ेबेड़ा में बीसी सखी की सेवाएं देने का दायित्व सौंपा गया।
दशोमती बताती हैं कि उन्होंने बैंकिंग किस्योस्क के माध्यम से ग्रामीणों को खाता खोलने, पैसा जमा करने एवं निकासी, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं सुरक्षा बीमा योजनाओं का लाभ पहुँचाया और विगत 5 वर्षों में वह 5 करोड़ रूपये से ज्यादा के लेनदेन कर चुकी हैं और करीब 20 हजार से ज्यादा ट्रांजेक्शन कर चुकी हैं जिससे लगभग 10 हजार मनरेगा श्रमिकों और 5 हजार से ज्यादा पेंशन हितग्राही लाभार्थी हुए हैं।
दशोमती सीएससी का भी कार्य करती हैं जिसमें उन्होंने 2000 आयुष्मान कार्ड, 1000 ई-श्रम कार्ड, 30 पेन कार्ड इत्यादि बनाये हैं साथ ही बिजली बिल का भुगतान भी करती हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने सीएससी की टेली-लॉ सेवा ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचाकर करीब 5 हजार रूपये अतिरिक्त आमदनी अर्जित की हैं। वर्तमान में दशोमती अपने बैंक सखी के कार्यों से 4 हजार रुपये और सीएससी के कार्यों से 2 हजार रुपये प्रतिमाह कमाकर लगभग 6 से 7 हजार रुपये कमाती हैं और कहती हैं कि बिहान की वजह से वह ग्रामीण लोगों को बैंकिंग की सेवाओं के साथ-साथ सीएससी की भी सेवाएं पंहुचा रही हैं।