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‘भारत की कोशिश में चीन डाल रहा बाधा’, आर्मी चीफ का बड़ा दावा

नई दिल्ली। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि चीन का एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उदय भारत के ‘ग्लोबल साउथ का स्वाभाविक नेता’ बनने के प्रयास में बाधा डालता है। साथ ही भविष्य के शक्ति केंद्र के रूप में अफ्रीका की संभावनाओं पर विचार करने की भारत को जरूरत है।
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा में उभरती प्रौद्योगिकियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘तकनीकी कौशल’ संघर्ष रोकने की नई मुद्रा बन गया है और ‘डाटा’ व्यापार एवं सुरक्षा की नई राजधानी बन गया है।
बिपिन रावत की स्मृति में कार्यक्रम
वह रविवार को नई दिल्ली में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की स्मृति में ‘उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में बदलते प्रतिमान’ विषय पर आयोजित चौथे व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मतलब युद्ध छेड़ने और युद्ध को रोकने की समग्र क्षमता है।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘स्वस्थ सैन्य-नागरिक समन्वयन, आत्मनिर्भर रक्षा औद्योगिक आधार, राष्ट्रीय स्तर पर दोहरे उपयोग वाली संपत्तियां, समय-सीमा के बारे में अच्छी तरह से सूचित और सशक्त निर्णयकर्ता और नागरिक योद्धाओं के लिए समावेशी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं कभी-कभी यह सोचता हूं कि अगर जनरल रावत को सुरक्षा बलों की केंद्रीयता में उभरते सुरक्षा प्रतिमान में भारत की परिकल्पित भूमिका पर हमें कुछ दिशा-निर्देश देना होता तो वह हमें क्या कहते। उपनिवेशवाद विरोधी सहयोगी देश बहु-विश्व व्यवस्था के हिमायती हैं और राष्ट्रों का एक साथ आना संघर्ष को रोकने में मदद करता है। इसलिए हम शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स, बिम्सटेक, हिंद महासागर क्षेत्रीय संघ आदि जैसे सभी ढांचों का हिस्सा बनें।’जनरल द्विवेदी ने ग्लोबल साउथ में अपने साझेदारों के साथ भारत के तालमेल के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करें। वार्ताकार या मध्यस्थ के रूप में संघर्ष समाधान में सक्रिय भूमिका निभाएं। कहा कि ‘मानवीय मदद के लिए दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों की सकारात्मक ताकत का उपयोग करें। वैश्विक वाणिज्य के लिए एक साझा मंच साझा करें, ग्लोबल साउथ के उद्भव को सक्षम करें, बेहतर सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए वंचितों के साथ अतिरिक्त संसाधनों को साझा करने में अग्रणी बनें।’

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