रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ में कार्यरत कुछ गैर-सरकारी संगठनों को दी गई फंडिंग के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस विदेशी सहायता का उपयोग धर्मांतरण जैसी अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां हर व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार धर्म मानने की स्वतंत्रता है। लेकिन जब अशिक्षा, गरीबी, चंगाई या लोक-परलोक के नाम पर लोगों को बहकाकर या प्रलोभन देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो यह न केवल अनैतिक है, बल्कि संविधान की मूल भावना के भी विरुद्ध है।
मुख्यमंत्री साय ने यह भी कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर विदेशी धन प्राप्त करती हैं, लेकिन इसकी आड़ में स्थानीय लोगों को भ्रमित कर, लालच देकर, चंगाई के माध्यम से धर्मांतरण कराती हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन एनजीओ को जिस उद्देश्य के लिए फंडिंग दी जा रही है, उसका सही उपयोग हो रहा है या नहीं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही USAID को बंद कर दिया था, क्योंकि वहां के करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा था। अब धीरे-धीरे यह खुलासा हो रहा है कि USAID के जरिए दी गई विदेशी फंडिंग का भारत में किस तरह से मनमाने ढंग से इस्तेमाल किया गया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री साय ने निर्देश दिया है कि राज्य में कार्यरत उन एनजीओ की गहन जांच की जाए, जिन्हें विदेशी एजेंसियों से वित्तीय सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी एनजीओ स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर विदेशी फंडिंग लेकर किसी भी तरह की अवैध गतिविधि में लिप्त न हो। यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है, तो कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाएगी सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए पहले से ही सख्त कानूनों को लागू कर रही है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जो भी संगठन, व्यक्ति या संस्था इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री साय ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। लेकिन यदि कोई भी संस्था धर्मांतरण के माध्यम से समाज में अस्थिरता फैलाने का प्रयास करती है, तो सरकार उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाएगी, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।