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भारत की सीमाएं संस्कृति से परिभाषित होती हैं, युद्ध या समझौते से नहीं: शाह

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा भू-सांस्कृतिक राष्ट्र है, जिसकी सीमाएं ‘युद्ध या समझौते’ से नहीं बल्कि संस्कृति से परिभाषित होती हैं।
शाह ने गुरुवार को यहां ‘जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख : सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृतांत’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा, कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से गुजरात तक, हम जहां भी जाते हैं, हमारा देश संस्कृति से जुड़ा है।
गृह मंत्री ने कहा कि जो लोग किसी देश को ‘भू-राजनीतिक’ के रूप में परिभाषित करते हैं, वे संस्कृति से जुड़े भारत को परिभाषित नहीं कर पाएंगे।
शाह ने कहा , डेढ़ सौ साल का एक दौर था, जब इतिहास का मतलब दिल्ली दरीबा से बल्ली मारान और लुटियंस से दिल्ली के जिमखाना तक था। इतिहास इन्हीं स्थानों तक सीमित था। यहां बैठकर इतिहास नहीं लिखा जा सकता। इतिहास को केवल लोगों से मिलकर, उनकी भाषाओं, उनके जीवन और उनकी संस्कृतियों को समझकर ही समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा, समय आ गया है कि हम खुद को उस इतिहास से मुक्त करें जो शासकों को खुश करने के लिए लिखा गया था। मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के प्रतिष्ठित इतिहासकारों से आग्रह करता हूं कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास को तथ्यपूर्ण, विश्वास के साथ लिखें और इसे प्रमाण और गर्व के साथ दुनिया के सामने प्रस्तुत करें।
गृह मंत्री ने कहा, भारत को समझने के लिए हमें उस तथ्य को समझना होगा जो हमारे देश को जोड़ता है। कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के साथ भी यही हुआ। यहां किसने शासन किया और कौन रहते थे, कौन-कौन से समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इसका विश्लेषण करना मेरी दृष्टि में व्यर्थ है। केवल वही इतिहासकार ऐसा कर सकते हैं जो इतिहास को एक अलग तरीके से देखते हैं।
उन्होंने कहा , कश्मीर हमेशा भारत का अविभाज्य हिस्सा रहा है और हमेशा अविभाज्य रहेगा। इसे किसी भी कानून द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है, प्रयास किए गए लेकिन अंत में उन धाराओं को हटा दिया गया और सभी बाधाओं को दूर किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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