छत्तीसगढ़
रायपुर के पुलिस कॉलोनी से बेजुबान डॉग्स को स्थानांतरण करने का प्रयास: अध्यक्ष एवं कांस्टेबल पर लगा किराए के डंडेधारी लोगों के द्वारा डॉग्स को खदेड़ने का आरोप, Video भी वायरल, पशु प्रेमियों ने मांगा “निजात”
Attempt to transfer dumb dogs from Raipur Police Colony: Chairman and constable accused of chasing dogs by hired people with sticks, video also viral, animal lovers asked for "relief"
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आए दिन पशु क्रूरता का मामला सामने आता है, साथ ही कई कॉलोनीवासियों द्वारा बेजुबान डॉग्स को स्थान्तरण (Reallocate) करने का प्रयास किया जाता है, जो की कानून के खिलाफ हैं। ताजा मामला रायपुर के अमलीडीह के पुलिस कॉलोनी का है। जहां समाज के रक्षक ही भक्षक बनता नजर आ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, एक कांस्टेबल जो कॉलोनी का अध्यक्ष है उसपर आरोप है कि उसने बाहर से कुछ डंडाधारी लोगों को बुलाया और कॉलोनी से हरस्ट्रीट डॉग्स को बाहर खदेड़ने कहा, जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।
एनिमल एक्टिविस्ट्स ने मांगा पशु क्रूरता से निजात
एनिमल एक्टिविस्ट्स ने एक मुहीम छेड़ते हुए, रायपुर पुलिस से आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरता से #NIJAAT की मांग की है। उन्होंने बताया कि, अमलीडीह में पुलिस कॉलोनी में एक कांस्टेबल द्वारा कॉलोनियों में बिन मुंह, असहाय और भूखे आवारा कुत्तों को स्थानांतरित करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने रायपुर पुलिस को कहा कि, हम वास्तव में चाहते है कि यदि पुलिस चोरी, नशीली दवाओं के नेटवर्क, शराब तस्करी, चाकूबाजी, राजधानी की सड़कों पर खुलेआम कॉन्ट्रैक्ट हत्या के अपराधियों के गिरोहों से निपटने के लिए इस प्रकार की सतर्कता, तत्परता और टीम भावना दिखाई होती तो शहर का कानून व्यवस्था और दुरुस्त रहता।
बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स को स्थानांतरित करने का प्रयास
उन्होंने आगे बताया कि, लेकिन जब बेजुबान जानवरों की बात आती है, तो ये रायपुर पुलिस का कांस्टेबल सामूहिक बहादुरी से काम कर रहे हैं। यहां अमलीडीह में, पुलिस कॉलोनी के अध्यक्ष सुरेश चंद्र ने एक टीम के रूप में काम करने वाले अन्य लोगों के साथ यहां आश्रय लेने की कोशिश कर रहे आवारा कुत्तों का पीछा करने, स्थानांतरित करने, यातना देने और सबसे खराब स्थिति में उन्हें मारने के लिए अप्रशिक्षित व्यक्तियों को काम पर रखा है। उल्लेखनीय है कि आवारा कुत्तों का जबरन स्थानांतरण सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
डंडेधारी लोगों ने बताया अध्यक्ष के कहने पर कर रहे है वो ये काम
एक वीडियो में साफ है कि, अमलीडीह पुलिस कॉलोनी के अध्यक्ष सुरेश चंद्रा के आदेश पर लाठियों से लैस कुछ लोगों को बेजुबान डॉग्स को कॉलोनी से खदेड़ने के लिए काम पर रखा है। अमलीडीह पुलिस कॉलोनी पहुंचने पर पशु बचाव स्वयंसेवकों के साथ कथित तौर पर कांस्टेबल सुरेश चंद्र द्वारा दुर्व्यवहार किया गया। एनिमल एक्टिविस्ट्स ने एसएसपी रायपुर संतोष सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप कर असाहय, भूखे और बेजुबान आवारा कुत्तों को स्थानांतरित करने के यातनापूर्ण तरीकों का उपयोग करने वाले ऐसे कांस्टेबल से छुटकारा (NIJAAT) दिलाने का आग्रह किया है।
अपनी बातों में फंसते हुए नजर आए कॉलोनी के अध्यक्ष एवं कांस्टेबल
वहीं इस मामले में कांस्टेबल सुरेश चंद्र अपनी बातों में फंसते हुए नजर आ रहे है। उनका कहना है कि, “कुत्ते कॉलोनी में बच्चों को दौड़ा रहे है ऐसा उनके पास शिकायत आया है। इसलिए उन्हें कुछ तो एक्शन लेना पड़ेगा, इसलिए उन्होंने ऐसे करने का प्रयास किया। साथ ही उन्होंने कहा कि, मैंने कई बार निगम और NGO’s से संपर्क किया इनके रेस्क्यू और वक्सीनशन के लिए पर कोई नहीं आया।” निगम की जिम्मेदारी होती है स्ट्रीट डॉग्स का नसबंदी और वक्सीनशन करना न की उन्हें स्थानांतरित करना। स्ट्रीट डॉग्स को एक जगह से दूसरे जगह छोड़ना कानूनन अपराध है। अंत में जब अध्यक्ष सुरेश चंद्र अपनीबतों में उलझ गए तो उन्होंने पशु अधिकार के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट्स से कहा आप लोग यहां एक वर्कशॉप करिये और लोगों को जागरूक करें।
रिहयासी इलाको में चोर और सामाजिक तत्वों गतिविधियों में होती है कमी
सबसे बड़ी बात जो ये भी देखा गया है कि युवा पीढ़ी के बच्चों के द्वारा आवारा कुत्तों को परेशान करना, उन पर हमला करना और उनको मारना और कुछ घटनाओं में उनके परिजनों द्वारा उन बेजुबान और निरीह कुतों एवम् अन्य पशु जैसे गाय, बैल, बिल्लियों पर एसिड डालना, गरम पानी डालना एवं ज़हर देना पाया गया है। समय आ गया है हम सब मिलकर समाज को, व्यक्तियों को, बच्चों को इन पशुओं के प्रति ख़ासस्तौर पर सड़क पर पाये जाने वाले कुतों के प्रति प्रेम और सहनभूति के लिए लिए जागृत करे क्योंकि इन आवरा जीवों के वजह से ही रिहयासी इलाको में अवांछित तत्व जैसे चोर और असामाजिक तत्वों और गतिविधियों में कमी होती है।
5 साल तक की हो सकती है सजा!
IPC की धारा 429 किसी जानवर की हत्या करना या अपाहिज करने को अपराध बनाती है। ये धारा कहती है कि अगर किसी जानवर की हत्या की जाती है, उसे जहर दिया जाता है या फिर अपाहिज किया जाता है, तो दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। वहीं, पशु क्रूरता निवारण कानून की धारा 11 (1) (L) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी जानवर के हाथ-पैर काटता है या बिना वजह ही क्रूर तरीके से उसकी हत्या करते है, तो ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g)क्या कहता है?
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।
1960 में लाया गया था पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
10 पॉइंट्स में समझिए कानून :-
प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) कहती है कि पालतू जानवर को छोड़ने, उसे भूखा रखने, कष्ट पहुंचाने, भूख और प्यास से जानवर के मरने पर आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। इसपर आपको 50 रुपए का जुर्माना हो सकता है। अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार जानवर के साथ ऐसा हुआ तो 25 से 100 रुपए जुर्माने के साथ 3 माह की जेल सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है।
भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) के अनुसार किसी भी कुत्ते को एक स्थान से भगाकर दूसरे स्थान में नहीं भेजा जा सकता। अगर कुत्ता विषैला है और काटने का भय है तो आप पशु कल्याण संगठन में संपर्क कर सकते हैं।
भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) की धारा 38 के अनुसार किसी पालतू कुत्ते को स्थानांतरित करने के लिए चाहिए कि उसकी उम्र 4 माह पूरी हो चुकी हो। इसके पहले उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना अपराध है।
जानवरों को लंबे समय तक लोहे की सांकर या फिर भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है। अगर आप जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है। ऐसे अपराध में 3 माह की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) के तहत अगर किसी गोशाला, कांजीहाउस, किसी के घर में जानवर या उसके बच्चे को खाना और पानी नहीं दिया जा रहा तो यह अपराध है। ऐसे में 100 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
मंदिरों और सड़कों जैसे स्थानों पर जानवरों को मारना अवैध है। पशु बलिदान रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निगम की है। पशुधन अधिनियम, 1960, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत ऐसे करना अपराध है।
किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंड़ों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना अपराध है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल का कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
ट्रांसपोर्ट ऑफ एनिमल रूल्स, 1978 की धारा 98 के अनुसार, पशु को स्वस्थ और अच्छी स्थिति में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना चाहिए। किसी भी रोग ग्रस्त, थके हुए जानवर को यात्रा नहीं करानी चाहिए। ऐसा करना अपराध है।