लखनऊ

यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सियासी घमासान मचा

Political turmoil over Nazul Property Bill in UP

लखनऊ ।  यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सियासी घमासान मच गया है। दरअसल योगी सरकार ने विधानसभा में इस विधेयक को पास करा लिया लेकिन ये अब विधानपरिषद में फंस गया। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने इस नजूल संपत्ति विधेयक पर विरोध जताते हुए कहा कि इसे बिना विचार विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। जिसके बाद विधानपरिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने का फैसला लिया। अब 2 महीने बाद समिति नजूल विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौपेंगी।

यूपी विधानसभा में बुधवार को विपक्ष के विरोध और वेल में प्रदर्शन के बीच नजूल संपत्ति विधेयक 2024 पारित हो गया। विपक्ष के विधायकों ने विधेयक के नियमों पर कड़ा ऐतराज जताया था। वहीं, सियासी बयानबाजी के बीच शुक्रवार को योगी सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को शुक्रवार को स्पष्ट किया। प्रदेश सरकार ने कहा कि विधानसभा में पास किए गए नए नजूल विधेयक के तहत किसी भी व्यक्ति की बेदखली नहीं करेगी। साथ ही ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने लीज डीड उल्घंघन नहीं किया है उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। विधेयक के तहत ऐसी किसी भी भूमि पर जहां लोग निवास कर रहे हैं या जिसका व्यापक जनहित में उपयोग किया जा रहा है उसे नहीं हटाया जाएगा।

नजूल संपत्ति विधेयक में क्या है

नजूल संपत्ति विधेयक प्रभावी होने के बाद यूपी में किसी भी नजूल भूमि को किसी प्राइवेट व्यक्ति या प्राइवेट एंटिटी के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। इन भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक जैसे केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य या समाजिक सहायता देने वाले संस्थाओं को ही दिया जाएगा। इसके अलावा खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज अवधि खत्म हो रही है उसे फ्री होल्ड न कर सार्वजनिक हित में उपयोग किया जाएगा। ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने 27 जुलाई 2020  तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया था और समय से निर्धारित शुक्ल जमा किया वह लीज खत्म होने के अगले 30 साल तक के लिए नवीनीकरण करा सकेंगे। बशर्तें उन्होंने मूल लीज डीड का उल्लघंन न किया हो।

सार्वजनिक कार्यों के लिए होगा लीज की जमीनों का उपयोग

योगी सरकार नजूल जमीनों का उपयोग सार्वजनिक कार्यों के लिए करना चाहती है। नजूल संपत्ति विधेयक पेश करते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कि नजूल की जमीनों का उपयोग सार्वजनिक कार्यों के लिए किया जाएगा। जहां विकास कार्य कराना है वहां नजूल भूमि की इस्तेमाल किया जाएगा। ब्रिटिश सरकार के दौरान आंदोनकारियों से जब्त जमीनें ही नजूल भूमि हैं। जिन लोगों ने नजूल की भूमि लीज पर ले रखी है और उसका नियमित रूप से किराया जमा कर रहे हैं वह लीज एग्रीमेंट का उल्लघंन नहीं कर रहे हैं।

क्या है नजूल जमीन 

नजूल जमीन ऐसी भूमि होती है। जिनका स्वामित्त्व सरकार के पास होता है। दरअसल भारत में आजादी के बाद अंग्रेजों ने इन जमीनों को खाली कर दिया लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास अक्सर पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिए उचित दस्तावेजों की कमी होती थी। इन जमीनों को नजूल भूमि के रूप चिह्नित किया गया था। जिसकी संपत्ति अधिकार सरकार के पास है।

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