छत्तीसगढ़

युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव शुक्ला ने 1998 में शुरू की छात्र राजनीति

National spokesperson of Youth Congress Sanjeev Shukla started student politics in 1998.

रायपुर। इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए पीईटी और पीएमटी परीक्षा होती है। अब पीएमटी की जगह नीट होने लगी है। प्रदेश में सिर्फ रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर में ही परीक्षा केंद्र बनाए जाते थे। हमने मांग की कि हर जिले में कलेक्टर हो सकते हैं तो हर जिले में परीक्षा केंद्र क्यों नहीं। इस मुद्दे को लेकर पहली बार भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) का प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान आंदोलन कर माध्यमिक शिक्षा मंडल का घेराव किया। घेराव के दौरान छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया, तोड़फोड़ हो गई। इस जुर्म में हमें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन इस पर हम कामयाब हुए, प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाने लगे। ये उपलब्धि है युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव शुक्ला की। युवा नेता राजनीतिक सफर में हम इनकी उपलब्धियों के बारे में बता रहे हैं। संजीव बताते हैं कि 1998 में छात्र राजनीति की शुरुआत की, 2001 में प्रगति कालेज में महासचिव का चुनाव जीता। इसके बाद एनएसयूआइ संगठन की तरफ से मुझे एनएसयूआइ का महासचिव की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद लगातार छात्र राजनीति में एक्टिव रहा। एनएसयूआइ संगठन में पहली बार 2009 में आंतरिक चुनाव हुए। एनएसयूआइ प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लड़ा, उसमें विजयी रहा। अब तक जितने भी मुझे पद मिले हैं, सभी चुनाव जीतने के बाद मिले हैं। 2017 में यूथ कांग्रेस का महासचिव निर्वाचित हुआ। वर्तमान में राष्ट्रीय प्रवक्ता युवा कांग्रेस का पद सिर्फ बिना चुनाव के मिला है। प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ चुनाव शुरू करवाया एनएसयूआइ प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ चुनाव के लिए आंदोलन किया। प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद छात्रसंघ चुनाव बंद हो गए थे, जिसके लिए आंदोलन किया। जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया। इसके बाद विधानसभा का घेराव किए, तब जाकर 2014 में छात्रसंघ चुनाव शुरू हुए थे। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद छात्रों को डिग्री के लिए चक्कर लगाना पड़ता था। परीक्षा के लिए आवेदन करने के समय डिग्री के लिए पैसा लिया जाता है, लेकिन छात्रों को डाक के द्वारा डिग्री नहीं भेजी जाती थी। इसके लिए हमने आंदोलन किया। जेल में आमरण अनशन किया। तत्कालीन कुलपति ने जेल में आकर लिखित आश्वासन दिया कि सभी छात्रों की डिग्रियां घर भेजेंगे। रुकी हुई 70 हजार छात्रों की डिग्रियां घर भेजी गई थी। इसके अलावा दीक्षा समारोह से अंग्रेजी वेशभूषा को खत्म करवाया। भारतीय परिधान में ही अतिथि दीक्षा समारोह में पहुंचते हैं। संजीव बताते हैं कि राजनीति में महात्मा गांधी और भगत सिंह मेरे आदर्श हैं। अभी तक जो भी लड़ाई लड़ी महात्मा गांधी की तरह अहिंसात्मक रुप से शुरू किया। लेकिन भगत सिंह बनने के बाद लड़ाई में सफलता मिली। राजनीति में परिवार से कोई नहीं है। पिता और बड़े भाई वकील हैं।

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