छत्तीसगढ़

बाजार में एंट्री के साथ गुंजने लगी नगाड़ों की थाप

The beats of drums started resonating with the entry in the market

बिलासपुर। होली पर्व मनाने की तैयारी शहर में चल रही है। धीरे-धीरे होलियाना मूड में भी शहरवासी आने लगे है। वैसे भी होली के पर्व में रंग-गुलाल के अलावा नगाड़े का विशेष महत्व होता है। नगाड़े की धुन पर फाग गीत के साथ होली का खुमार बढ़ता है। नगाड़े की धुन पर लोग फाग गाते हुए होली का आनंद लेते है। नगाड़े के साथ उत्सव में चार-चांद लगता है। यहीं वजह है कि बाजार में नगाड़े की दुकान सजने लगी है। बाजार में इसकी पूछ परख भी होने लगी है। अरपा नदी के रपटा पुल के पास चौपाटी में नगाड़ा बेचने वाले अपनी दुकान सजा रहे है। यहां पर वर्षों से नगाड़े की दुकान लगती है। यहां पर खैरागढ़ व डोंगरगढ़ से नगाड़ा बेचने वाले पहुंचते है। होली पर्व को अब दो सप्ताह शेष है। ऐसे में होली पर्व की तैयारी चल रही है। रंग-गुलाल की दुकानें लगना शुरू हो चुका है। इसी बीच शहर में नगाड़ों ने भी दस्तक दे दी है। शनिचरी रपटा के पास 100 रूपये से लेकर 2000 रूपये तक बड़े नगाड़े बिक रहे है साथ ही नगाड़े की आवाज शहर की फिजा को होलियाना मुड में ला रहे है। इसी वजह से नगाड़ों की बिक्री भी शुरू हो चुकी है। खैरागढ़ से नगाड़ा बेचने आए चैन सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा डिमांड खैरागढ़ के नगाड़े रहते है, होली के दौरान होने वाले फाग में नगाड़ा मुख्य वाद्य यंत्र होता है, ऐसे में नगाड़ों के बिना फाग की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसी तरह होलिका के पास बैठकर नगाड़ा बजाने की प्रथा है, यह प्रथा अभी भी जीवित है ऐसे में जैसे-जैसे होली पर्व नजदीक आते जाएगा, वैसे-वैसे ही इनकी बिक्री भी जोर पकड़ने लगेगी।

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