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पूर्व सीएम शिवराज व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध जमानती वारंट

Bailable warrant against former CM Shivraj and former minister Bhupendra Singh

जबलपुर। एमपीएमएलए स्पेशल कोर्ट में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध पांच सौ का जमानती वारंट जारी किया गया है। सात जून तक की हाजिरी माफी की मोहलत को घटाकर सात मई तक कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि एमपी-एमएलए कोर्ट की विशेष न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के आधार पर पूर्व में सात जून तक व्यक्तिगत उपस्थिति से राहत दे दी थी। साथ ही इस सिलसिले में लिखित अभिवचन प्रस्तुत करने कहा था। किंतु तीनों की ओर से ऐसा नहीं किया गया। लिहाजा, तल्ख़ टिप्पणी करते हुए नई व्यवस्था दे दी गई। दरअसल, इस मामले में तीनों की ओर उपस्थित हुए अधिवक्ताओं को सुना। साथ ही उनकी ओर से प्रस्तुत हाजिरी माफी के आवेदन पर विचार किया।

सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम शिवराज, वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की ओर से अधिवक्ता श्याम विश्वकर्मा, जीएस ठाकुर, सुधीर नायक व उमेश पांडे ने पक्ष रखा। यह मामला हाई कोर्ट में भी लगा था। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने तीनों नेताओं को लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के आधार पर हाजिरी माफी की व्यवस्था दिए जाने की मांग संबंधी याचिका पर अंतरिम राहत न देते हुए इस सिलसिले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने स्वतंत्र कर दिया था। साथ ही हाई कोर्ट में याचिका की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित कर दी थी।
यह है मामला :
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने एमपीएमएलए कोर्ट जबलपुर में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया था। परिवाद में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया। पूर्व सीएम शिवराज, वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने गलत बयान देकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ दिया। जिससे उनकी छवि धूमिल करके आपराधिक मानहानि की है। एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को तीनों के विरुद्ध मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

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