छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में भिलाई के रिसाली स्थित नामी – गिरामी स्कूल में छात्रा के साथ घिनौनी हरकत

Disgusting act with a girl student in a renowned school located in Risali, Bhilai in Chhattisgarh.

स्कूल प्रबंधन के दबाव में पुलिस

मेडिकल टेस्ट में पुष्टि, पीड़ित छात्रा और परिजनों को लौटाया गया बैरंग, 

आखिर क्यों स्कूल प्रबंधन की वकालत में जुटे आलाधिकारी ? 

सरकार ले संज्ञान…… 

दुर्ग- भिलाई: छत्तीसगढ़ के भिलाई से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यहाँ रिसाली स्थित एक नामी – गिरामी स्कूल में एक छात्रा आपत्तिजनक हालत में पाई गई थी। इस दिन घर लौटने पर पीड़ित छात्रा की अचानक तबियत ख़राब हो गई। परिजनों ने उसे अस्पताल में दाखिल कराया। यहाँ इलाज के दौरान डॉक्टरों ने पीड़ित छात्रा के प्राइवेट पार्ट को लेकर परिजनों को जो बात बताई, उसे सुन कर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। डॉक्टरों से प्राप्त मेडिकल रिपोर्ट लेकर पीड़ित परिजनों ने सीधे स्कूल का रुख किया। स्कूल में पहले क्लास टीचर और फिर प्रिंसिपल को घटना की जानकारी दी गई।

 

बताया जाता है कि पीड़ित छात्रा ने परिजनों और प्रबंधन के समक्ष हुई पूछताछ में अपने साथ हुए व्यवहार को लेकर पूरी दास्तान सुनाई। इस दौरान परिजनों को दरिंदे के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का भरोसा दिलाया गया। लेकिन चंद घंटों बाद ही स्कूल प्रबंधन आरोपी के खिलाफ वैधानिक कदम उठाने के बजाय पीड़ित परिजनों पर शिकायत वापिस लेने के लिए दबाव बनाने लगा। स्कूल की साख और मर्यादा का हवाला देकर परिजनों का मुँह चुप कराने के लिए स्कूल प्रबंधन ने कई तिकड़में भी शुरू कर दी। पीड़ित परिजनों के मुताबिक स्कूल प्रबंधन के हाथ झाड़ लेने के बाद वैधानिक कार्यवाही के लिए उन्होंने स्थानीय पुलिस से भी संपर्क किया।

 

स्थानीय स्तर पर कार्यवाही के लिए हीला – हवाली होते देख पीड़ित परिजनों ने न्याय के लिए SP कार्यालय का भी रुख किया। लेकिन यहाँ भी उन्हें निराशा हाथ लगी। बताया जाता है कि भिलाई के रिसाली स्थित इस स्कूल के प्रिंसिपल और प्रबंधन का पुलिस एवं प्रशासन में खासा दबदबा है। दरअसल, कई आलाधिकारियों के बच्चे, इसी स्कूल में अध्ययनरत बताये जाते है। लिहाजा पीड़ित छात्रा की सुध लेने के बजाय स्थानीय पुलिस प्रशासन खुद स्कूल प्रबंधन के बचाव में जुट गया है। बताया जाता है कि पीड़ित परिजन आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध है, बावजूद इसके न्याय के लिए उन्हें दर – दर भटकना पड़ रहा है।

 

सूत्रों मुताबिक, पुलिस अधीक्षक द्वारा पीड़ित परिजनों को डांट डपट कर चुप्पी साध लेने की हिदायत दी गई है। पीड़ितों ने बाल आयोग और राज्य सरकार से मामले की फौरी जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि स्कूल प्रबंधन को प्रभावशील अधिकारियों और नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। उनके मुताबिक घटना के सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने CCTV फुटेज और कैमरों के साथ छेड़छाड़ कर कई डिजिटल सबूतों को नष्ट करने की कवायत शुरू कर दी है। पीड़ितों ने न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को हकीकत से वाकिफ करते हुए बताया कि घटना दिनांक का CCTV फुटेज भी डिलीट किया गया है।  पीड़ितों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी मामले में संज्ञान लेने की गुहार लगाई है।

 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में एक बड़ी आबादी बच्चों के समुचित विकास और शिक्षण के लिए बेहतर प्राइवेट स्कूलों की तलाश में जुटे रहते है। इसके लिए वे मोटी फीस भी अदा करते है। प्राइवेट स्कूलों में शिक्षण के अलावा बच्चों की सुरक्षा भी अहम मानी जाती है। स्कूली बच्चों को यौन हिंसा से बचाने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइन जारी की है। बावजूद इसके ऊंची पहुंच और रसूख के चलते ऐसे कई नामी – गिरामी स्कूलों में बच्चों के यौन शोषण के मामले सुर्ख़ियों में है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button