देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए देश की न्याय व्यवस्था में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों का राज्य में औपचारिक शुभारंभ किया। उन्होंने इन तीन नए कानूनों पर आधारित आई ओ एप्लीकेशन का शुभारंभ एवं विवेचक पुलिसकर्मियों को टैबलेट भी वितरित किए। मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में भारतीय न्याय व्यवस्था में तीन नए कानून के लागू होने पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक दिन है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे विभिन्न पुराने और गैरजरूरी कानूनों को हटाकर वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नए कानून न्याय की अवधारणा को मजबूत करेंगे और न्याय मिलने की प्रक्रिया को अधिक सरल और सुलभ बनाने में पुलिस और न्यायालयों की वृहद स्तर पर मदद करेंगे। धामी ने कहा कि अनुशासन, निष्पक्षता और न्याय हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है। ये तीनों कानून देश के हर नागरिक की स्वतंत्रता, मानव अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार को सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि ये कानून गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नए कानून आजादी के अमृत महोत्सव के बाद के कालखंड में देश को एक नई दिशा दिखाने का कार्य करेगा। अब हमारी न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी होगी जो भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार संचालित होगी। उन्होंने कहा कि नए कानून नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के साथ कानून व्यवस्था को भी और अधिक सुदृढ़ करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए कानूनों में ई- एफआईआर की सुविधा शुरू की गई है। अब न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा। नए कानूनों में टेक्नोलॉजी के प्रयोग और फॉरेंसिंक विज्ञान को बढ़ावा दिया गया है। नई न्याय प्रणाली सभी को पारदर्शी और त्वरित न्याय देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में ऑनलाइन व्यवस्था पर भी बल दिया गया है। नए कानूनों में सबकुछ स्पष्ठता और सरलीकरण के साथ समाहित किया गया है। धामी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हमारे कानून आतंकवाद, संगठित अपराधों और आर्थिक अपराधों को पूरी तरह परिभाषित करेंगे। नए कानूनों में मॉब लिंचिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, भगोड़ों की गैरमौजूदगी में भी मुकदमा चलाने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। साथ ही बहुत छोटे अपराधों के लिये सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड की जनता को न्याय दिलाने एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। नए कानूनों को लागू किये जाने हेतु राज्य सरकार ने पृथक रूप से 20 करोड़ रुपए की धनराशि का प्राविधान किया है। उन्होंने कहा कि आगे भी इन कानूनों के क्रियान्वयन कर्ता विभागों को इसके लिए राज्य सरकार से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा निश्चित ही तीनों कानूनों को उत्तराखंड पुलिस पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू करेगी। कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न जनपदों से अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने भी तीन नए कानूनों पर विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगौली, सचिव गृह दिलीप जावलकर, निदेशक अभियोजन डॉ पीवीके प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक डा. वी मुरुगेशन, अमित सिन्हा, अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था एपी अंशुमन, आईजी स्तर के अधिकारियों के अलावा वर्चुअल माध्यम से विभिन्न जिलों के एसएसपी, एसपी अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।
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