जंवारा विसर्जन करने तेज धूप में कलश थामकर नंगे पैर निकली महिलाएं
Women came out barefoot holding the urn in the hot sun to immerse the Janvara.
रायपुर। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन जोत जंवारा विसर्जन में श्रद्धा भक्ति के साथ उत्साह से महिलाएं शामिल हुईं। सिर पर जोत जवारा कलश थामकर महिलाएं निकली। तेज धूप में कलश थामकर नंगे पैर चल रही महिलाओं के पैरों को जलन से बचाने सेवादार पानी का छिड़काव करते चल रहे थे। अनेक यात्राओं के पीछे टैंकर की व्यवस्था की गई थी। कुछ मार्गों पर कई लोगों ने अपने घर से पाइप के माध्यम से जल का छिड़काव करके राहत देने का कार्य किया। जोत जवारा विसर्जन यात्रा का नजारा बढ़ई पारा, तात्यापारा, सत्ती बाजार, पुरानी बस्ती इलाके में दिखाई दिया। जोत का विसर्जन कंकाली तालाब में किया गया। घर-घर में स्थापित घट कलश, जोत-जंवारा का विसर्जन करने की परंपरा निभाई गई। अनेक मोहल्लों से जंवारा विसर्जन यात्रा में श्रद्धालुओं ने सांग-बाणा धारण किया। दोनों गाल, छाती, हाथ, होंठ, जीभ को नुकीले तीरों से बेधकर श्रद्धा भक्ति के साथ विसर्जन यात्रा में शामिल हुए। कंकाली मंदिर के सामने स्थित कंकाली तालाब में जोत जंवारा का विसर्जन सुबह से शाम तक चलेगा।
नवमी पर कन्याओं का पूजन
देवी मंदिरों में कन्याओं का पूजन करके भंडारा प्रसादी का आयोजन किया गया। विविध मंदिरों में सुबह 10 बजे कन्या पूजन हुआ। इसके पश्चात कन्याओं को भोजन कराया गया। कन्या भोज के बाद महाभंडारा में प्रसाद वितरण किया गया।
मंदिरों में अष्टमी-नवमी की युति में दी पूर्णाहुति
इससे पहले देवी मंदिरों में चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि पर मंगलवार को सुबह नौ बजे से हवन की तैयारियां शुरू हो गई थी। विद्वान आचार्यों के सान्निध्य में 10:30 बजे हवन प्रारंभ हुआ। तीन घंटे तक दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चार से मुख्य यजमानों के साथ श्रद्धालु हवन में आहुति देते रहे। दोपहर को 1:30 बजे अष्टमी तिथि के समापन और नवमी तिथि के शुभारंभ यानी अष्टमी-नवमी की युति में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति दी। इसके पश्चात ‘जय अंबे गौरी’ की महाआरती से मंदिर परिसर गूंज उठा।
गली-मोहल्लों में भंडारा प्रसादी
अष्टमी हवन के पश्चात विविध गली-मोहल्लों में सेवाभावियों ने भंडारा प्रसादी का आयोजन किया। शाम तक भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की।