छत्तीसगढ़ में नकली नोटों की खपत की जाँच पर कुंडली मारे क्यों बैठा है सरकारी सिस्टम?
Why is the government system in a dilemma over checking the consumption of fake notes in Chhattisgarh?
मनोज सिंह-
छत्तीसगढ़ इन दिनों जाली भारतीय मुद्रा बनाने और खपाने का हब बनता जा रहा है. बीते साल भर में 10 ऐसे मामले पकड़े गए हैं. जिनमें भारी मात्रा में जाली भारतीय मुद्रा और जाली मुद्रा बनाने का उपकरण छत्तीसगढ़ पुलिस ने बरामद किया है. ज्यादातर मामलों में जाली भारतीय मुद्रा छत्तीसगढ़ के सटे राज्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बस्तर के नक्सली इलाके से लाया गया. या फिर दूसरे राज्यों से ट्रेनिंग लेकर छत्तीसगढ़ में जाली भारतीय मुद्रा बनाते पकड़े गए.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने जाली भारतीय मुद्रा पर कार्रवाई भी की. लेकिन पुलिस ने एक भी मामले की जाँच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को नहीं सौंपी. नतीजतन जाली नोट के सौदागरों के एक भी गिरोह के नेटवर्क का खुलासा नहीं हो सका. जिससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा बढ़ता नजर आ रहा है.
23 जून 2024 को सुकमा जिले में नक्सलियों के पास से जाली भारतीय मुद्रा और मुद्रा का सैम्पल बरामद किया गया है. फरवरी 2024 को ओडिशा से रायपुर पिकअप वाहन से ला रहे 3 करोड़ 80 लाख रुपये को महासमुंद पुलिस ने पकड़ा. बोरी में 500-500 रुपए के जाली भारतीय मुद्रा के बंडल मिले थे. एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया. वहीं रायपुर पुलिस ने 14 जून 2024 ओडिशा के 6 आरोपियों को पकड़ा था. जिनके पास से नकली नोट, स्टाम्प पेपर छापने के लिए कोरा पेपर, वाटर मार्क इंक और कलर प्रिंटर मिला था. जिसकी मदद से आरोपी 500-500 रुपये के नकली नोट बनाकर मार्केट में खपाते थे. गिरोह लम्बे समय से जाली नोट की तस्करी कर रहा था. लेकिन अब तक दोनों मामले में गिरोह के नेटवर्क का खुलासा नहीं हो सका और न ही पुलिस ने एनआईए जाँच के लिए अपनी रिपोर्ट ही भेजी है.
14 मई 2024 को अंबिकापुर के लुंड्रा पुलिस ने ग्राम तुरियाबिरा निवासी कपिल गिरी 500-500 के 58 नकली नोट के साथ पकड़ा गया था. 13 अप्रैल 2024 को रायगढ़ पुलिस ने कोनपारा धान खरीदी केंद्र के प्रभारी को 23.44 लाख रुपए के जाली नोट के साथ पकड़ा. आरोपी एक करोड़ के असली नोटों के बदले तीन करोड़ के जाली नोट पश्चिम बंगाल से लाया था. 17 मई 2024 को अंबिकापुर पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया. आरोपियों के पास से 22 लाख रुपए के नक़ली नोट, नकली सोने के 80 बिस्कुट, 11 नग मोबाइल, प्रिंटर व असली दो लाख रुपए बरामद किए थे. ये चंद मामले नहीं बल्कि कई और मामले भी हैं जिनमें पुलिस ने देश की सुरक्षा को भी नजरअंदाज किया है.
अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय की गतिविधियों जैसे हथियारों और ड्रग्स की तस्करी, नकली भारतीय मुद्रा को प्रचलन में लाना, सीमाओं के पार से घुसपैठ, और अन्य गतिविधियों और आतंकवाद और कुछ अन्य कृत्यों, जिनके राष्ट्रीय प्रभाव, से संबंधित अपराधों की जांच के लिए केंद्रीय स्तर पर एक एजेंसी (NIA) की स्थापना की गयी है. लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने जाली भारतीय मुद्रा के एक भी मामले को एनआईए को जाँच के लिए नहीं सौपा.
छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित राज्य है और नक्सल का कनेक्शन आतंकवाद से भी जुड़े होने का खुलासा हो चुका है. राज्य में ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत कई पड़ोसी राज्यों से नकली नोट की तस्करी और नकली नोट बनाने का मामला भी सामने आ चुका है. खासकर रायपुर में नकली नोटों को डम्प कर दूसरे राज्यों तक पहुंचाया जाता है. तस्कर कभी नौकरी तो कभी तंत्र-मंत्र का सहारा लेकर नकली नोट खपाते हैं. जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. इसके बाद भी रायपुर पुलिस और छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अफसर मामले को एनआईए को सौंपने पर राजी नहीं होते दिख रहे हैं. जबकि राज्य में एनआईए का दफ्तर भी खोला गया है.
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रायपुर से वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह की रिपोर्ट..