छत्तीसगढ़
गजराजबांध में अवैध कब्जे, रिटेनिंग वॉल और पाथवे निर्माण का मामला: वेटलैंड अथॉरिटी ने दिए जांच के आदेश
Case of illegal occupation, retaining wall and pathway construction in Gajrajbandh: Wetland Authority orders investigation
रायपुर/ कमल विहार के पास, राजधानी के 106 एकड़ में फैले, सबसे बड़े तालाब पर हो रहे अवैध कब्जों और नगर निगम द्वारा नियमों के विरुद्ध प्रस्तावित 20 करोड़ के सौन्दरिय्करण कार्यों जिसमें तालाब में रिटेनिंग वॉल बनाना और पाथवे निर्माण भी शामिल है, को लेकर रायपुर के डॉक्टर राकेश गुप्ता और पर्यावरण और वृक्षारोपण के लिए कार्यरत मोनिका बागरेचा की शिकायत पर छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने कलेक्टर रायपुर जो कि रायपुर जिला वेटलैंड संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी हैं को पूरे मामले की जांच कर वस्तुस्थिति से अथॉरिटी को अवगत कराने के लिए आदेशित किया है। आदेश की कॉपी आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर को भी दी गई है।
क्या है शिकायत
शिकायत में बताया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के एम.के. बालाकृष्णन के मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 का नियम चार 2.25 हेक्टेयर या उससे बड़ी आद्रभूमियों अर्थात वेटलैंड पर लागू है। गजराजबांध 106 एकड़ का होने के कारण यहाँ नियम चार लागू होते है, जिसके अनुसार 2007 से 2017 तक के वेटलैंड के हाईएस्ट फ्लड लेवल को निकला जाना होता है और उसके बाद 50 मीटर छोड़ कर ही कोई पक्का निर्माण किया जा सकता है। शिकायत में बताया गया है कि गजराजबांध की मेड़ पर व्यापक संख्या में पक्के निर्माण किये गए हैं जो कि 50 मीटर के दायरे में आते हैं, ये सभी निर्माण मान सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद किये गए है। शिकायत में बताया गया है कि नगर निगम द्वारा गजराजबांध तालाब में रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी तथा पाथवे बनाकर 50 मीटर के दायरे में सौन्दर्यीकरण का कार्य किया जाएगा। ये सब परमानेंट स्ट्रक्चर के तहत आते है जिनका निर्माण मान. सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के अनुसार गजराजबांध तालाब में प्रतिबंधित है।
इकोलॉजिकल कैरक्टर रखना है बरकरार
नियम 4 की दूसरी प्रमुख शर्त यह है कि तालाब का इकोलॉजिकल कैरक्टर बरकरार रखना होता है। शिकायत में बताया गया है कि गजराजबांध तालाब का गहरीकरण भी किया जायेगा। तालाब गहरीकरण में तालाब की मिटटी निकालने से तालाब का इकोलॉजिकल कैरेक्टर ख़राब हो जायेगा। अगर ये कार्य किये जाते है तो मान सर्वोच्च न्यायलय के आदेश की उलंघना और अवमानना होगी।
क्या कहना है शिकायतकर्ताओं का
डॉक्टर गुप्ता ने चर्चा में बताया कि नगर निगम रायपुर ने चुन चुन कर रायपुर के सभी तालाबों में रिटेनिंग वाल बना कर तालाबों की हत्या कर दी है। रिटेनिंग वाल बनाने से पानी रिचार्ज नहीं हो पाता, रिसाव रुक जाता है, तालाब की जैव विविधता समाप्त हो जाती है। मोनिका बागरेचा ने बताया कि वे गजराजबांध की सफाई का ध्यान रखती है वहां वृक्षारोपण भी करवाया है, तालाब की हो रही दुर्दशा देख कर उन्हें दुःख होता है। डॉ गुप्ता के साथ उन्होंने गजराजबांध और कई अन्य तालाबो का निरिक्षण किया है, सभी डेड वाटर बॉडी हो गई हैं। गौरतलब है की मोनिका बागरेचा वृक्षारोपण को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा करने का कार्य करती हैं।