दिल्लीदेश

कांग्रेस के डीएनए में किसान विरोध: चौहान

Farmer protest is in Congress's DNA: Chauhan

नयी दिल्ली । कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस और उसकी नीतियां किसान विरोधी है और खेती किसानी कभी भी पार्टी की प्राथमिकता में नहीं रहे हैं। चौहान ने सदन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कार्यकरण पर चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है। आरंभ से ही कांग्रेस की नीतियां गलत रही है। भारतीय खेती बहुत प्राचीन है जिसका इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना है। कांग्रेस ने देश में विदेशी कृषि के माडल लागू किये। देश में रूस का कृषि माडल लागू किया गया। कांग्रेस के कार्यकाल में अमेरिका का सड़ा हुआ गेहूं भारत में बांटा जाता रहा। उस दौर में किसानों से जबरदस्ती लगान की वसूली होती थी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के डीएनए में किसान विरोध है। कांग्रेस की प्राथमिकताएं प्रारंभ से ही गलत रहीं। स्व. जवाहरलाल नेहरू जी 17 साल देश के प्रधानमंत्री रहे और तब देश को अमेरिका से आया सड़ा हुआ लाल गेहूं खाने को विवश होना पड़ता था।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों की आय बढ़ाने के प्रयत्न नहीं किये गये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को किसान चुनाव के समय याद आता है। किसान कांग्रेस की प्राथमिकता में कभी नहीं रहे। चौहान ने कांग्रेस की नीतियां पर कहा, “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। जब हम महाभारत काल में जाते हैं तो हमें भगवान श्रीकृष्ण नजर आते हैं, जबकि विपक्ष को छल- कपट और अधर्म के प्रतीक शकुनी तथा चौसर का ध्यान आता है।” कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की खेती के लिए छह प्राथमिकताएं उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम देना, प्राकृतिक आपदा में राहत की ठीक राशि देना, कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की किसानों को लेकर प्राथमिकताएं गलत थीं। कांग्रेस किसानों के साथ छल करती है। कांग्रेस वर्षों तक सरकार में रही, लेकिन सिंचाई की व्यवस्थाओं पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब सिर्फ साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था थी। अब इसे बढ़ाकर साढ़े 47 लाख हेक्टेयर किया गया है। चौहान ने कहा, “कांग्रेस कभी किसानों को गंभीरता से लेती ही नहीं है चाहे पहले की सरकारें हो या आज की सरकार हो। आप कर्नाटक का उदाहरण देख लीजिए वहां क्या स्थिति दयनीय बनी हुई है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button