छत्तीसगढ़

साजा विधानसभा में मंत्री रविंद्र चौबे पर भरी किसान ईशवर

रायपुर। रायपुर से 85 किलोमीटर दूर बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा क्षेत्र में मंत्री रविंद्र चौबे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। चुनाव के दौरान इस बार विधानसभा क्षेत्र का गांव बिरनपुर चर्चा में आ गया है। दरअसल, चुनावी शोरगुल के बीच बिरनपुर में अब भी सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां की गलियों में चुनावी शोरगुल कम ही है। यह वही गांव है जहां आठ अप्रैल 2023 को दो गुटों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसमें मारे गए युवक भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को भाजपा ने यहां से प्रत्याशी बनाया है, वहीं उनके सामने कांग्रेस से मंत्री चौबे हैं। इस दौरान यहां का माहौल शांत करने में प्रशासन का पसीना छूट गया था। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार भाजपा का यह स्मार्ट मूव है, लेकिन चुनौती भी है क्योंकि ईश्वर साहू का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है।

भुवनेश्वर साहू के छोटे भाई कृष्णा साहू ने कहा कि हमें हिंदुत्व को जगाने के लिए टिकट मिला है, इसलिए हम जुटे हुए हैं। पापा-मम्मी दोनों प्रचार करने जाते हैं। हमारा एक ही लक्ष्य है कि जिस तरह मेरे भाई के साथ हुआ, अन्य किसी के साथ न हो। बिरनपुर के किसान भवानी ने कहा कि अभी स्थिति ठीक है। गांव में शांति का माहौल है। यहां के मतदाताओं का कहना है कि मंत्री चौबे और ईश्वर साहू के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।

सातवीं बार के विधायक का आम व्यक्ति से मुकाबला
साजा सीट इस बार अधिक रोचक इसलिए है क्योंकि यहां कांग्रेस पार्टी से सात बार के विधायक रहे रवींद्र चौबे का मुकाबला एक आम व्यक्ति ईश्वर साहू से है। ईश्वर ने आज तक सरपंच का भी चुनाव नहीं लड़ा है। उनके लिए राजनीति का रास्ता नया है। वहीं 1990 में पहली बार विधायक बने मंत्री चौबे 2018 के चुनाव में सातवीं बार साजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हैं। वह आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। चौबे नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।

बिरनपुर में विशेष सुरक्षा
बिरनपुर में हिंसा के बाद यहां विशेष सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। यहां गांव में ही एक कमरे में पुलिस सहायता केंद्र स्थापित किया गया है। हालांकि बिरनपुर को छोड़ दें तो साजा विधानसभा क्षेत्र में प्रवेश करते ही गाड़ियों की सघन तलाशी और सवारियों से हो रही पूछताछ से यह बात तो बयां हो रही है कि यहां चुनाव ने जोर पकड़ लिया है। यहां पहुंचने पर एकबारगी तो ऐसा लगा कि चुनाव अभी दूर है, मगर चाय की दुकानों, पान ठेलों, हाट-मंडियों में चुनावी चर्चा करते हुए लोग दिख जाएंगे। इतना ही नहीं, राजनीतिक दलों के चुनाव कार्यालयों में लगे झंडे, उनके सामने खड़ी बड़ी-बड़ी गाड़ियों का हुजूम और गुट बनाकर खड़े कार्यकर्ता क्षेत्र में हो रहे चुनाव का अहसास करा रहे हैं।

65 प्रतिशत ओबीसी वोटर
साजा विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता दो लाख 50 हजार हैं। यहां 65 प्रतिशत वोटर ओबीसी हैं, जिनमें साहू और लोधी समाज के लोग हैं। 10 प्रतिशत सामान्य मतदाता हैं। 25 प्रतिशत एसटी और एससी वर्ग से आते हैं।

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