लोकसभा के बाद विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी को झटका, INDIA की जीत के पीछे क्या वजह?
After Lok Sabha, BJP also suffered a setback in Assembly by-elections, what is the reason behind India's victory?
नई दिल्ली । सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है। लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से इंडिया अलायंस का दबदबा देखने को मिला है। 13 सीटों में से चार-चार कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने जीती हैं, जबकि दो सीटें बीजेपी के पास गईं। वहीं, तमिलनाडु में इंडिया गठबंधन की डीएमके को एक सीट और पंजाब की जालंधर पश्चिम में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। बीजेपी ने एमपी और हिमाचल प्रदेश की एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों से इंडिया अलायंस काफी गदगद रहा है और अब एक महीने के बाद विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में भी इंडिया अलायंस के दल बीजेपी पर हावी रहे हैं।
बीजेपी की हार के पीछे क्या वजहें?
देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में बीजेपी को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। अयोध्या के बाद बीजेपी एक और धार्मिक स्थल बद्रीनाथ हार गई। यहां पर कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बीजेपी के राजेंद्र भंडारी को पांच हजार से ज्यादा वोटों से हराया, जबकि उत्तराखंड की मंगलौर विधानसभा सीट भी कांग्रेस के कब्जे में गई है। उपचुनाव के नतीजों को देखने से साफ है कि लोकसभा चुनाव का असर अब भी देश में देखने को मिल रहा है। राजनैतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिस तरह के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, उससे विपक्षी दल को काफी बूस्ट मिला है। एनडीए के लिए 400 पार का दावा करने वाली बीजेपी को 240 सीटों पर रोकने के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता फ्रंटफुट पर हैं। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संसद में जोरदार भाषण दिया तो कुछ ही दिनों के भीतर उन्होंने गुजरात, यूपी, मणिपुर जैसे राज्यों के एक के बाद एक दौरे किए। इससे कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में नई ताजगी आ गई है। पिछले दस सालों में एक के बाद एक हार विपक्ष को नसीब हो रही थी, वह ट्रेंड एक ही लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बदल दिया है। इसी वजह से माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव में भी लोकसभा चुनाव के नतीजों का प्रभाव देखने को मिला। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी भले ही हमीरपुर सीट जीतने में कामयाब रही हो, लेकिन देहरा, नालागढ़ सीटें गंवा दी हैं। यूपी में कांग्रेस और सपा गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करके उत्तर भारत में वापसी की उम्मीद बनाई थी, वह उत्तराखंड और हिमाचल के उपचुनाव के नतीजों के बाद भी कायम रखी है।
स्थानीय कारण भी बीजेपी के खिलाफ गए
कई राज्यों में स्थानीय कारण भी बीजेपी की हार की वजह बने हैं। जैसे उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर बीजेपी की हार के पीछे कई स्थानीय वजहें मानी जा रही हैं। ऑल वेदर रोड जैसी विकास परियोजनाओं, पुरोहितों की नारागजी भाजपा को भारी पड़ी है। इसी तरह से उत्तराखंड में भी विकास प्रोजेक्ट्स के लिए पेड़ों व जंगलों का काटे जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए शीतल अंगुराल को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर शीतल आम आदमी पार्टी से विधायक थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। चुनावी नतीजों से साफ है कि आप से बीजेपी में शीतल का जाना जनता को पसंद नहीं आया और उन्होंने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट मोहिंदर भगत को जीत दिलवा दी।
जहां जिसकी सरकार, वहां उस पार्टी का दबदबा!
उत्तराखंड और बिहार को छोड़ दें तो बाकी सभी राज्यों में जिस दल की सरकार है, वहां उसके कैंडिडेट की जीत हुई है। मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी के कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस को करीबी मुकाबले में हराया है। मध्य प्रदेश में अभी बीजेपी की सरकार है और यह राज्य लंबे अरसे से भगवा दल का गढ़ रहा है। वहीं, पंजाब की एकमात्र उपचुनाव वाली जालंधर वेस्ट सीट में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है। यहां भी पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से ‘आप’ की सरकार है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने क्लीन स्वीप किया है। यहां टीएमसी सभी चारों सीटें जीत गई है। हालांकि, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी कांग्रेस दोनों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। उधर, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार है और यहां की तीन सीटों में कांग्रेस ने दो और बीजेपी ने एक पर जीत दर्ज की है। बिहार की बात करें तो रुपौली विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवारों को हराते हुए बड़ी जीत हासिल की।