लंबित प्रकरणों के बीच ला अफसरों की नियुक्ति के लिए महाधिवक्ता कार्यालय में बढ़ रहा दबाव
Increasing pressure in Advocate General's office for appointment of law officers amid pending cases
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में वर्तमान में 90 हजार 224 के करीब मामले लंबित हैं। लंबित प्रकरणों के बीच राज्य शासन की ओर से जवाब दावा पेश करने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय में दबाव बढ़ रहा है। एजी कार्यालय ने विधि-विधायी विभाग को पत्र लिखकर 30 पैनल लायर की जल्द नियुक्ति की मांग की है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान एजी कार्यालय में 70 पैनल लायर की नियुक्ति की गई थी। वर्तमान में एजी कार्यालय में 22 पैनल लायर काम कर रहे हैं। प्रदेश में राज्य की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद हाई कोर्ट में प्रकरणों की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पक्ष रखने और जवाब दावा पेश करने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता,उप महाधिवक्ता,शासकीय अधिवक्ता के अलावा पैनल लायर की नियुक्ति संबंधी पहली सूची जारी कर दी है। विधि अधिकारियों की सूची जारी करने से पहले विधि विधायी विभाग ने महाधिवक्ता की नियुक्ति संबंधी आदेश जारी कर दिया था। विधि विधायी विभाग द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय के लिए नियुक्त किए गए विधि अधिकारियों की संख्या को कम मानी जा रही है। इसके पीछे हाई कोर्ट में लंबित प्रकरणों व जजों की बढ़ती संख्या को कारण बताया जा रहा है। लंबित मामलों की संख्या जिस तेजी के साथ बढ़ रही है उसके अनुसार ही महाधिवक्ता कार्यालय में भी कोर्ट के समक्ष जवाब पेश करने,प्रमुख मामलों में खड़ा होने और शासन का बचाव करने का दबाव भी लगातार बढ़ते जा रहा है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जजों की संख्या चीफ जस्टिस सहित 15 है। मतलब साफ है प्रतिदिन 15 कोर्ट में प्रकरणों की सुनवाई हो रही है। अमूमन सभी प्रकरणों में याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य शासन को प्रमुख पक्षकार के रूप में शामिल किया जाता है। लिहाजा सभी कोर्ट में राज्य शासन की ओर से उपस्थिति दर्ज कराना,कोर्ट में शासन का पक्ष रखना और जवाब दावा पेश करने की जिम्मेदारी भी ला अफसरों की होती है। पैनल लायर की नियुक्ति होने से महाधिवक्ता कार्यालय में ला अफसरों के बीच वर्तमान में बना हुआ दबाव काफी हद तक कम होगा। यही कारण है कि दूसरे चरण में 30 पैनल लायर की नियुक्ति को लेकर महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा विधि विधायी विभाग में जाेर लगाया जा रहा है। पैनल लायर के लिए कम से कम तीन वर्ष का वकालत का अनुभव जरुरी है। विधि विधायी विभाग द्वारा दो वर्ष के लिए नियुक्ति की जाती है। काम अच्छा रहने की स्थिति में नियुक्ति आगे बढ़ा दी जाती है।