छत्तीसगढ़

रायपुर के कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय आम महोत्सव का आयोजन

National Mango Festival organized in Agricultural University of Raipur

रायपुर। आम के दीवानों के लिए छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नेशनल मैंगो फेस्टिवल चल रहा है। इस मैंगो फेस्टिवल में आम की 300 से अधिक किस्म और आम से बने 56 व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस मैंगो फेस्टिवल में मियाजाकी प्रजाति का आम खास चर्चा का विषय बना हुआ है। मियाजाकी को दुनिया के सबसे महंगे आम (World Most Expensive Mango) में भी शामिल किया जा सकता है। इस एक किलो आम की कीमत चार तोले सोने कीमत के बराबर है। जैसे ही कोई कृषि विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करता है, आम की मधुर सुगंध से मंत्रमुग्ध हो जाता है। ताजा और रसीले आम देखकर हर कोई कोई कह रहा है काश यह आम खाने को मिल जाए…। दरअसल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव का उद्वाटन कृषि मंत्री रामविचार नेताम मंत्री ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरीश चंदेल ने की। महोत्सव में आम की 300 से अधिक किस्म और आम से बने 56 व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदेश के सुदूर अंचल के सुगंधित आम के साथ देशभर के अलग-अलग हिस्सों में उत्पादन किए जाने वाले आमों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिनमें दशहरी, लंगड़ा, हापुस, केशर, नीलम, चौसा, नूरजहां, हिमसागर जैसी उन्नत किस्मों के साथ ही आम की बहुत सी देशी किस्में तथा मियाजाकी, थाई बनाना, रैड पामर जैसी किस्में शामिल है। मियाजाकी आम की कीमत देखकर लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि आम इतना महंगा भी हो सकता है क्या? आम के एक किग्रा की कीमत 2.7 लाख रुपये हैं। इसके साथ महोत्सव में हाथीझूल आम का आकार चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों आम के अनोखे कीमत और साइज को देखकर सभी उसके साथ सेल्फी ले रहे हैं। प्रदर्शनी में आम की मियाजाकी प्रजाती सभी का ध्याक आकर्षित कर रही है। आरकेे गुप्ता ने बताया कि आम के सबसे महंगे किस्म लेकर प्रदर्शनी में पहुंचे ने बताया कि यह मियाजाकी आम दुनिया का सबसे महंगा आम है, जिसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य 2 लाख 70 हजार रुपये हैं। एक फल का वजन करीब 350 ग्राम होता है। इसमें हमारे शरीर के लिए जरूरी एंटी आक्सीडेंट, फोलिक एसिड, बीटा-केरोटिन जैसे तत्व पाए जाते हैं। कार्पोरेट वर्ल्ड में इसका उपयोग भेंट (लेन-देन) में बहुतायत में प्रयोग होता है। यह आम मुख्यत: जापान देश के योकोहामा (मियाजाकी) में उत्पादन किया जाता है। अन्य आम की तुलना में मियाजाकी आम की फसल आसान नहीं है। इस आम तो एक छोटे से जाल में लपेटते हैं, ताकि इनपर सूरज की रोशनी समान रूप से पड़े और पूरे आम का रंग गहरा लाल हो सके। इस आम के आकार और रंग के कारण इसे ”एग्स आफ़ सन” यानी ”सूरज के अंडे” कहा जाता है। प्रदर्शनी में मियाजाकी और अन्य महंगी आम के किस्म लेकर पहुंचे आरके गुप्ता ने बताया कि वे काेल इंडिया से रिटायर्ड जनरल मैनेजर है। वे कमलपुर, अंबिकापुर में रहते हुए पांच से बागवानी की ओर काम कर रहा हूं। भारत आम का देश है। यहां बहुत से खेती की जाती है। इसलिए मैंने ने भी शौक के रूप में खेती करने की सोची। पौधे लगाने के साथ पौधे की देखरेख मैं स्वयं करता हूं। मियाजाकी का पौधा जापान से मंगाया था। प्रदर्शनी में सैकड़ों आमों को सजाया गया है, लेकिन लोगों की आंखें एक बड़े आकार के आम में जाकर रुक रही थी। यह आम समान्य आमों से लगभग पांच से छह गुना बड़ा था। यह हाथीझूल प्रजाति का आम है जो आकार में 5 किग्रा तक होता है। हाथीझूल आम का उत्पादन ज्यादातर बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर में होता है। एक आम पांच से छह किग्रा तक का होता है। प्रति किग्रा हाथीझूल आम की किमत 150 से 200 रुपये तक होती है।

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