मेडिकल कॉलेज में 50 लाख की मशीन
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 50 लाख रुपये की फुली ऑटो एनालाइजर मशीन कबाड़ हो रही है। पांच साल पहले मशीन खराब हुई तो फिर बन ही नहीं सकी। इस मशीन के खराब होने का खामियाजा बस्तर के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मशीन की क्षमता रोजाना 800 टेस्ट करने की है, लेकिन खराब होने के चलते रिजल्ट शून्य है। 650 बेड के अस्पताल में रोजाना 150 से ज्यादा सैंपल जांच के लिए लैब पहुंचते हैं, लेकिन इनकी रिपोर्ट आ ही नहीं पाती। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि, मशीन को ठीक करने के लिए इंजीनियर को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई नहीं आया।
9 साल पहले खरीदी गई, पर 2 साल ही हुआ इस्तेमाल
दरअसल, बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में ब्लड सैंपल की जांच के लिए 2014 में सीजीएमएससी के तहत फुली ऑटो एनालाइजर मशीन खरीदी गई। नई टेक्नोलॉजी की इस मशीन से उम्मीद जागी थी कि रोगियों को समय पर जांच रिपोर्ट मिल सकेगी। वहीं लैब टैक्नीशियन पर भी दबाव कम होगा। एक-दो साल तो मशीन ठीक चली, लेकिन फिर चिकित्सालय प्रबंधन की लापरवाही से पांच साल से इसे अनुपयोगी मान लिया गया। रख-रखाव और देखभाल की अनदेखी से मशीन खराब हुई और फिर किसी काम की नहीं रही। नतीजा यह हुआ कि अब यह मशीन कबाड़ सी हालत में पहुंच चुकी है।
तार तक कुतर गए
मशीन चालू करने के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। संबंधित कम्पनी के इंजीनियर को मशीन दुरुस्त करने के लिए पत्र भेजा गया है। अभी तक कहा जा रहा था कि मशीन के रिजेंट (किट) काफी महंगे हैं। रिजेंट नही होने कारण इस मशीन का उपयोग करना बंद कर दिया गया। इसके कारण मशीन के उपकरणों में लगा ऑयल सूखने लगा और धीरे-धीरे चूहों ने उसे अपना घर बना लिया। मशीन के तारों तक को चूहे कुतर गए हैं। , इस कारण इसे शुरू करने में परेशानी सामने आ रही है। अब चिकित्सालय में इस मशीन के रिजेंट भी उपलब्ध नही है।
सटीक जांच और कम समय
फुली ऑटो एनालाइजर का बड़ा फायदा यह था कि इसमें एक साथ 800 नमूनों की जांच संभव हो पाती। साथ ही जांच में भी प्रमाणिकता और सटीकता रहती है। इसके चालू होने पर समय की काफी बचत भी होती। इससे लैब कार्मिकों को काम के दबाव से राहत मिलेगी। वहीं रोगियों को भी जांच रिपोर्ट का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेग। जानकारों के अनुसार मशीन से बॉयोकैमिस्ट्री के अन्तर्गत आने वाली जांचें होती हैं। प्रमुख रूप से लीवर, किडऩी, हृदय सहित अन्य सामान्य जांचें भी शामिल हैं। इस मशीन से जांच रिपोर्ट कम्प्यूटर की स्क्रीन पर नजर आती है।
कई सैंपल पेंडिंग
सामान्य चिकित्सालय की लैब में सेमी ऑटोलाइजर मशीन से सैम्पल की जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, लैब में प्रतिदिन 150 से 200 तक सैंपल की जांच होती है। शुगर, यूरिया, क्रिटिनिट, एसजीओटी, एसजीपीटी, सीरम विल्ड्रोन, टोटल प्रोटीन एल्बोमिन सहित अन्य विभिन्न जांचें होती हैं। सेमी ऑटोलाइजर से जांच करने की प्रक्रिया में काफी समय लगता है, इसके चलते रिपोर्ट भी देर से मिलती है। बायोकेमेस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. अमर सिंह ठाकुर बताते हैं कि, इस मशीन को एसी में रखा जाता है। इसे ठीक कराने के लिए कई बार डीन को पत्र लिखा जा चुका है। मुंबई से इंजीनियर आने का इंतजार है।