छत्तीसगढ़

बच्चे के गले में फंसी मछली को डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर निकाला बाहर, बच्चे की हालत अभी स्थिर !

Doctors operated and removed the fish stuck in the child's throat, the child's condition is now stable.

बिलासपुर। शहर के तोरवा स्थित लाइफ केयर हास्पिटल में एक रेयर मामला पहुंचा। जिसमें एक 12 साल के बच्चा जब तालाब में नहाने के लिए कूदा तो उसके मुंह में एक 10 सेंटीमीटर की मछली चली गई और वह उसके गले में जाकर फंस गईं थी। इससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। ऐसे में बच्चे के गले से तत्काल मछली निकालना जरूरी हो गया था। इसके बाद बच्चे के इलाज के लिए स्वजनों ने उन्हें लाइफ केयर अस्पताल पहुंचाया। जहां के डाक्टरों की टीम ने ब्रान्कोस्कोपी पद्धति से मछली के कई टुकड़ें करते हुए गले से बाहर निकालकर बच्चे को नया जीवन देने में कामयाब हुए। जानकारी के अनुसार अकलतरा थाना क्षेत्र के ग्राम करुमहु निवासी कुंवर सिंह गोंड का 12 वर्षीय पुत्र समीर गोंड कुछ दिनों पिछले शुक्रवार की सुबह करीब दस बजे गांव के जूना तालाब में दोस्तों के साथ नहाने गया था। इस दौरान वह नहाने के लिए तालाब में कूदा तो उसका मुंह खुला हुआ था, जैसे ही उसका मुंह तालाब के पानी के संपर्क में आया। वैसे ही एक तैरती हुई दस इंच की मछली सीधे उसके मुंह में घुस गई और गले में जाकर फंस गई। मछली जिंदा रही और गली में फंसकर तड़पने लगी। इससे समीर को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उसका हालत बिगड़ने लगा। जिसे देख उसके दोस्तों ने इसकी जानकारी उसके स्वजनों को दी। इसके बाद स्वजन उसे अकलतरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। जहां पर डाक्टरों ने मछली को निकालने का प्रयास तो किया लेकिन वे उसे निकाल नहीं पाए। जबकि समीर की हालत बिगड़ते ही जा रहा था। ऐसे में उसे किसी दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा गया। तब परिजन उसे लेकर तोरवा चौक स्थित लाइफ केयर हास्पिटल पहुंचे। जहां ईएनटी विशेषज्ञ डा़ रुजवल साइमन ने जांच की और तत्काल मछली को निकालने का निर्णय लिया। इसके बाद हास्पिटल के डायरेक्टर डा़ रामकृष्ण कश्यप, डा़ नेहा पांडेय और डा रुजवल साइमन ने सबसे पहले ट्रेकियोस्टोमी पद्धति से गले के नीचे चीरा लगाकर पाइप के माध्यम से आक्सीजन दिया, ताकि समीर की सांस चलती रहे। इसके बाद ब्रान्कोस्कोपी पद्धति से गले में फंसी मछली के टुकड़े करते हुए उसे निकाला गया। इससे समीर की जान बच सकी है। वहीं इस सर्जरी के बाद बच्चे की स्थिति में सुधार आ गया है। जिसे एक-दो दिन के बाद डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button