छत्तीसगढ़

एम्स रायपुर में टेंडर घोटाला

Tender scam in AIIMS Raipur

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIMS) में लाखों रुपये का टेंडर घोटाला सामने आया है। इस टेंडर घोटाला में चहेते ठेकेदार को टेडर देने न केवल दो बार निविदा आमंत्रित की गई बल्कि दूसरी निविदा में भाग लेने वालों का टेडर खोला ही नहीं गया। और उस ठेकेदार को टेंडर दे दिया जो एक करोड़ के टर्न ओवर वाली शर्त को पूरा नहीं करता।

इस घोटाले को लेकर जो खबरें आ रही है वह हैरान करने वाली इसलिए भी है क्योंकि इस खेल में दिल्ली से आई किसी महिला का नाम सुर्खियों में है। और कहा जा रहा है कि अभी इसे तरह के करोड़ों रुपये का टेंडर अभी और होना है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायपुर एम्स ने एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में टेंट, एलईडी वॉल,फ्लावर और फ़्लैक्स सहित विभिन्न साज सज्जा के लिए टेंडर जारी किया था।

३० मई को पहला टेंडर खोला गया। इस काम के लिए 3 कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया था, जिसमें मैवरिक एल-1 था। जबकि इवेंचुरी और व्यापक की दर में काफी अंतर था। कहा जाता है कि एल-1 आने वाली कंपनी मैवरिक ने इस काम को सबसे कम दर पर करने को तैयार भी हो गया था जबकि व्यापक इसी काम के लिए 65 लाख की राशि बताया था, लेकिन मैवरिक को वर्क ऑर्डर यह कहकर देने से इंकार करते हुए टेंडर ही रद्द कर दिया गया कि फाईनेस किट इन कम्पलीट है जबकि जो कालम छूटे थे इसे फुल-फिल किया जा सकता था।

कहा जाता है कि इसके बाद चहेते ठेकेदार को काम देने फिर से टेंडर निकाला गया जिसे 26- जून को खोला गया । इस दूसरे टेंडर में 6 कंपनियों ने हिस्सा लिया लेकिन चार कंपनियों ने प्रजेंटेशन नहीं दिया तो उनका टेंडर अमान्य हो गया।

अब मुकाबले में केवल दो कंपनियां इवेन्चुरी और मैवरिक ही रह गये थे। लेकिन मैवरिक का टेंडर यह कहकर खोला नहीं गया कि अप टू मार्क पर प्रज़ेंटेशन नहीं है जबकि इसी कंपनी की निरस्त होने वाले टेंडर में प्रजेंटेशन को माना गया था और टेंडर दिया गया था। फिर सेम प्रजेंटेशन के बाद अप टू मार्क प्रजेटेशन के नाम पर निरस्तकैसे किया जा सकता था, और यहीं से टेंडर में गड़बड़ी का संकेत साफ़ हो जाता है।

इधर सूत्रों का यह भी दावा है कि टेंडर भरने की शर्त में टर्न ओवर एक करोड़ रूपये की शर्त रखी गई की लेकिन जिस कंपनी को यह टेंडर मिला है उसका टर्न ओवर 50 लाख भी नहीं है ऐसे में उन्हें टेंडर कैसे दिया गया।

दूसरी तरफ़ यह भी कहा जा रहा है कि एम एस एम ई के तहत टर्न ओवर में छूट देकर दूसरों का टेंडर ही नहीं खोला गया।जबकि कहा जा रहा है कि यदि यह छूट दी जानी थी तो टेंडर में एक करोड़ टर्न ओवर की शर्त क्यों रखी गई। और यह शर्त नहीं रखी जाती तो एमएसएमई वाली कई दूसरी कंपनियां भी भाग लेती और एम्स रायपुर का पैसा बच जाता।

लेकिन चहेते कंपनी को ठेका देने के लिए किस तरह की एकता हुई यह एम्स के कालेज बिल्डिंग के पहली मंजिल पर जाते ही समझा जा सकता है।
बताया जाता, है कि इस पूरे खेल में या प्रबंधन की भूमिका को लेकर सवाल तो उठ ही रहे हैं और इस घोटाले के लिए एकता की चर्चा भी खूब जोरशोर से चल रही है।
इस संबंध में जब हमारे संवाददाता ने एम्स प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो वे उपलब्ध नहीं थे।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि एम्स में आये दिन इस तरह के कार्यक्रमों के लिए आनलाईन टेंडर जारी होता रहता है और ऑनलाईन टेंडर में हस तरह की गड़बड़ी हो रही है तब आसानी से समझा जा सकता है कि किस ताह से शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।

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