छत्तीसगढ़

अब अगर पटवारी काम पर नहीं लौटे, तो जाएगी नौकरी’

रायपुर। पटवारियों की हड़ताल को पूरे 30 दिन हो गए। सरकार ने एस्मा लगाया, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। नतीजा ये हुआ कि राजस्व का पूरा कामकाज ठप पड़ गया है। न तो सीमांकन हो रहा और न ही आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र बन रहे हैं। उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है और अभी प्रवेश शुरू होने वाले हैं, तो ऐसे में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी भी परेशान हैं।

7 जून को एस्मा लगाने के बाद भी सरकार ने सख्ती नहीं की है। इस बारे में राजस्व सचिव एनएन एक्का से सवाल किया कि जब एस्मा लगा दिया गया और फिर भी पटवारी हड़ताल पर हैं, तो इसका क्या मतलब हुआ। सचिव बोले- आखिरी मौका दे दिया गया। अब अगर काम पर नहीं लौटे, तो नौकरी जाएगी। बात खत्म।

पटवारियों की हड़ताल से जिले में राजस्व का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। इनकी हड़ताल के कारण सीमांकन, नामांतरण आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र, बंटवारा सहित 10 से अधिक प्रकार के काम पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं।

एस्मा लगाने के बाद पटवारियों के खिलाफ शासन- प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाने के बजाय हड़ताल खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है। इससे आम जनता काफी परेशान हो रही है। पटवारी संघ अपनी मांगों को लेकर बुधवार को भी रेवेन्यू सेक्रेटरी एनएन एक्का से मुलाकात की। देर रात तक बैठक चलती रही, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

रायपुर में ही राजस्व के 8015 प्रकरण लंबित
रायपुर जिले की ही बात करें तो राजस्व 8015 प्रकरण लंबित थे, जिसमें 84 मामले को खारिज कर दिया है। वर्तमान में 7931 प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो सकी है और नई पेशी की तारीख दे दी गई। वहीं पंजीयन कार्यालय की बात करें, तो 15 मई से अब तक करीब 3400 सौ से ज्यादा संपत्तियों की रजिस्ट्री हुई है। इसमें लैंड रिकार्ड दुरुस्त करने का काम पूरी तरह से बंद है। खुद शासन के नियमानुसार एक सप्ताह में रजिस्ट्री हुई संपत्ति का नामांतरण हो जाना चाहिए। सीमांकन-बटांकन के प्रकरण भी बारिश के पहले पूरा करके देना है, जो नहीं हो पा रहा है।

रायपुर पटवारी संघ के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने कहा कि हमने बुधवार को भी रेवेन्यू सेक्रेटरी से मुलाकात की है। हड़ताल खत्म करने के संबंध में संघ की बैठक चल रही है, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं निकला है।

राजस्व सचिव एन.एन एक्का ने कहा कि पटवारियों के साथ बैठक हुई थी। उनकी कुछ मांगें मानने योग्य नहीं है। उन्हें बोल दिया गया है कि तुम अपने रास्ते चलो, शासन अब कड़ा निर्णय लेगा। एस्मा लगाने के बाद भी उनको समय दिया गया था, लेकिन अब समय खत्म हो गया है।

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