छत्तीसगढ़

अधिकारियों की बातों को नजरअंदाज कर शहर पहुंच गए विद्यार्थी

Ignoring the words of the officials, the students reached the city

अंबिकापुर। जुगाड़ की व्यवस्था में समस्याओं के बीच सरगुजा का एकलव्य आवासीय विद्यालय संचालित हो रहा है। शनिवार को एकलव्य आवासीय विद्यालय के बच्चे लगभग छह किलोमीटर दूर पैदल चलकर शहर पहुंच गए। समस्याओं और मांगों को लेकर नारेबाजी करते हुए विद्यार्थियों के शहर पहुंचने की सूचना मिलते ही कलेक्टर भोस्कर विलास संदिपान कलेक्टोरेट पहुंचे। सभाकक्ष में जिलाधिकारियों की उपस्थिति में कलेक्टर ने पूरी संवेदनशीलता और आत्मीयता के साथ बच्चों से बातचीत की। समय पर भोजन नहीं मिलने, समस्याओं की ओर ध्यान दिलाने पर मारपीट करने, सुविधाओं की कमी, विद्यार्थियों से अमर्यादित आचरण , स्वजनों से बातचीत नहीं कराने, परिसर में गंदगी जैसी बुनियादी कमियों की ओर बच्चों ने कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराया। कलेक्टर ने सभी बच्चों की समस्याओं को ध्यान से सुना। उन्होंने बच्चों को आश्वस्त किया कि विद्यालय का स्वयं का भवन बनकर तैयार होने पर सुविधाओं में विस्तार होगा। वर्तमान सुविधा में ही बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने का आश्वासन देते हुए कलेक्टर ने कहा कि वे स्वयं विद्यालय के निरीक्षण पर आएंगे। जिलाधिकारियों को भी समय-समय पर सुविधाओं की समीक्षा के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने बच्चों को मन लगाकर पढ़ाई करने और लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुभकामनाएं दी। बच्चों को कलेक्टोरेट से विद्यालय वापस भेजने के लिए कलेक्टर ने बसों की व्यवस्था भी कराई। निजी स्कूलों से बसें मंगवाकर बच्चों को सुरक्षित तरीके से वापस भेजा गया।कलेक्टर ने यहां पदस्थ प्रभारी प्राचार्य और अधीक्षिका को अन्यत्र स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं। एकलव्य आवासीय विद्यालय का संचालन अंबिकापुर शहर से लगभग छह किलोमीटर दूर घँग़री में संचालित किया जा रहा है। शनिवार सुबह विद्यार्थियों के आवासीय विद्यालय परिसर से बाहर निकल आने की सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को मिल गई थी। प्रशासन का प्रयास था कि बच्चे शहर नहीं आए। कलेक्टर के स्वयं विद्यालय पहुंच कर विद्यार्थियों से बातचीत की योजना थी। इसके लिए अंबिकापुर शहर से जिलाधिकारियों को भेजा गया था। जिलाधिकारियों ने बच्चों को रास्ते मे ही रोकने का प्रयास किया लेकिन बच्चे किसी की भी सुनने को तैयार नहीं थे। वे नारेबाजी करते तेजी से चलते हुए शहर की ओर बढ़ते रहे। कलेक्टर से मुलाकात और अपनी बात रखने की बच्चों की जिद को देखते हुए विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उनके साथ पैदल ही कलेक्टोरेट पहुंचे। इस दौरान चौक-चौराहों में बच्चों को सुरक्षित तरीके से पार कराने के लिए पुलिसकर्मी भी मुस्तैद रहे। शनिवार को शासकीय अवकाश था। सभी शासकीय कार्यालय बंद थे। स्कूली विद्यार्थियों के शहर आने की सूचना मिलते ही कलेक्टर भोस्कर विलास संदिपान भी पल-पल की जानकारी ले रहे थे। बच्चों के लिए उन्होंने कलेक्टोरेट सभाकक्ष को खोलकर रखने का आदेश दिया था। बच्चों के पहुंचते ही सभी को सभाकक्ष में बैठाया गया। कलेक्टर संदिपान भी पहुंचे। उनके साथ विभिन्न विभागों के अधिकारी भी थे। कलेक्टर ने बच्चों से आत्मीयतापूर्वक चर्चा की।सभी की बातें सुनी गई। कलेक्टर ने उनके विद्यार्थी जीवन मे सामने आई समस्याओं का भी जिक्र किया। बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें जीवन में सफ़ल होने शुभकामनाएं दी। खुले मन से कलेक्टर से हुई बातचीत के बाद बच्चे भी प्रसन्न नजर आए। वे प्रशासनिक व्यवस्था में बसों से शहर से अपने विद्यालय पहुंचे। एकलव्य आवासीय विद्यालय सीतापुर के पेटला के नाम स्वीकृत है। स्वयं का भवन नहीं होने के कारण विद्यालय का संचालन अंबिकापुर शहर के नजदीक घँग़री स्थित जुगाड़ के शासकीय भवन में किया जा रहा है। तय मानक के अनुरूप भवन में सुविधाओं की कमी है।इसलिए विद्यार्थी महीनों से परेशान थे। इधर यहां पदस्थ जिम्मेदारों के व्यवहार ने बच्चों को और नाराज कर दिया। इसी कारण बच्चे पैदल ही शहर पहुंच गए। एकलव्य आवासीय विद्यालय के छठवीं से नवमीं तक के बच्चे आए थे। कुछ बुनियादी समस्याओं को लेकर उन्होंने अपनी बात रखी है। विद्यालय का स्वयं का भवन जून महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। उसके बाद विद्यालय स्वयं के भवन में संचालित होने लगेगा। यहां के प्रभारी प्राचार्य और अधीक्षिका को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है।

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